कवी प्रसाद की काव्य साधना | Kavi Prasad Ki Kavya Sadhna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
374
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिचय
रहे हूं । जयशकर 'प्रसाद” न केवल कवि; वरन् दिंदी के श्रेष्ठ मौलिक
नाटककार, सुंदर कहानी-लेखक, बौद्ध संस्कृति एवं इतिहास के
पंडित तथा दर्शन के श्रच्छे जानकार थे । उनकी इतिहास-सम्बन्धी
खोजों से लॉग साधारणतः परिचित नहीं; पर जो उन्हें जानते
६, वदी खमभः सकते ई किं उनमें श्रनेक धाराश्रो का कैसा श्रपूर्व
समिश्रण था |
गुण-दोष
यो तो जयशंकर प्रसाद” हिन्दी के सवंप्रथम मोलिक कदानी-
लेखक+, सर्वप्रथम रूप-नाटश्वकार 1; एवं मिन्नतुकात कविता के
हिन्दी में सर्वप्रथम कवि थे, परतु उनका कवि; उनके नाटककार एवं
कथाकार की श्रपेक्षा, सब जगद प्रधान हैं । श्रन्वेषणु-सम्बन्धी लेखों
को छोड़कर और कदी भी वहश्रपने शझंतर के कवि को छिपा नहीं
सके हैं | एक दृष्टि से देखें तो इसे उनकी कमज़ोरी भी ,कद सकते हैं।
रवीन्द्रनाथ जब कहानी लिखते हैं तत्र कोई यद्द नददीं कद सकता कि
इसे कोई कवि लिख रदा दै} भाषा पर उनका पूर्ण श्रधिकार है।
सरल श्रौर मुद्दाविरेदार वेंगला लिखने में कोई उनका मुकाबला नहीं
कर सकता । रल की किरकिरीः ‡ ययपि मानवनहृदय के दुर्गम स्थलों
को श्रत्यत स्वाभाविक रूप में हमारे सामने रखती ई तथापि उसमे
कीं गीतांजलि फार के दशन नहीं दोते। जयशकर प्रसादः मे
# देकिए--श्वायाः । + देखिए-- कामना” । 2 रखीन्दनाथ कां एक
उपन्यास |
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