कवी प्रसाद की काव्य साधना | Kavi Prasad Ki Kavya Sadhna

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Kavi Prasad Ki Kavya Sadhna by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिचय रहे हूं । जयशकर 'प्रसाद” न केवल कवि; वरन्‌ दिंदी के श्रेष्ठ मौलिक नाटककार, सुंदर कहानी-लेखक, बौद्ध संस्कृति एवं इतिहास के पंडित तथा दर्शन के श्रच्छे जानकार थे । उनकी इतिहास-सम्बन्धी खोजों से लॉग साधारणतः परिचित नहीं; पर जो उन्हें जानते ६, वदी खमभः सकते ई किं उनमें श्रनेक धाराश्रो का कैसा श्रपूर्व समिश्रण था | गुण-दोष यो तो जयशंकर प्रसाद” हिन्दी के सवंप्रथम मोलिक कदानी- लेखक+, सर्वप्रथम रूप-नाटश्वकार 1; एवं मिन्नतुकात कविता के हिन्दी में सर्वप्रथम कवि थे, परतु उनका कवि; उनके नाटककार एवं कथाकार की श्रपेक्षा, सब जगद प्रधान हैं । श्रन्वेषणु-सम्बन्धी लेखों को छोड़कर और कदी भी वहश्रपने शझंतर के कवि को छिपा नहीं सके हैं | एक दृष्टि से देखें तो इसे उनकी कमज़ोरी भी ,कद सकते हैं। रवीन्द्रनाथ जब कहानी लिखते हैं तत्र कोई यद्द नददीं कद सकता कि इसे कोई कवि लिख रदा दै} भाषा पर उनका पूर्ण श्रधिकार है। सरल श्रौर मुद्दाविरेदार वेंगला लिखने में कोई उनका मुकाबला नहीं कर सकता । रल की किरकिरीः ‡ ययपि मानवनहृदय के दुर्गम स्थलों को श्रत्यत स्वाभाविक रूप में हमारे सामने रखती ई तथापि उसमे कीं गीतांजलि फार के दशन नहीं दोते। जयशकर प्रसादः मे # देकिए--श्वायाः । + देखिए-- कामना” । 2 रखीन्दनाथ कां एक उपन्यास |




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