डा॰ करणी सिंह | Dr. Karani Singh

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Dr. Karani Singh by वन्द्रदान चारण - Vandradan Charan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गय झौर उ होने संघि-पत्र पर इसी हैसियत से हृश्ताक्षर किये । इसी पवार साष्ट हषे ऊ श्रविदेशन मे पहली बार वे देशी नरेशो के प्रतिनिधि के रूप में सन १४२४ मे ग्रौर दूसरी वार सितम्बर १९३० के प्रधिवेशन म नता ए म समस्त भारत का प्रतिनिधित्व क्या । मारते मे देरी राजाप्रो ने जव श्रषनी समा न्तरे मडल' का गठन किया तो महाराजा गगासिह जो ही उसने सवप्रमम चासलर बनाये राये । दे लगातर तीन बार चालर चुन गय । शरत की भावौ कासन पद्धति पर विचार-चिमदा करन दतु नवम्बर १६३० मे इग्सड में गोलमेज सम्मेलन बुलया गया । तार १७ नवेम्बर १६३० कौ सम्मेलन के पूर्णाधिवेशन मे सर तेज बहादुर सम्ू ने भारत की झोर से वाद ध्रारम्म किया तथा भारत को स्वत त्रता प्रदान करने के पक्ष में भत्यन्त शक्तिशाली तक प्रस्तुत किये । डीक इसके दाद भाषण देते हुए महाराजा गगा्सिहे जी मे कहा! ” राजा लोग भारतीय हैं तथा मे लोग श्रपने दश की उनति के पक्ष मे हु श्रौर समस्त भारत की ्रधिक्तेम समृद्धि एव सतुष्टिमे मागतेने की वे उसमे अपना योगदान करने दो इच्छा रखते हैं ।” महाराजा के भापण को सुन कर लोग बहुत प्रभावित हुए । थी तेज बहादुर सप्रू ने श्राकर उनसे हाथ मिलाया और कहा,” “यह बड़े गौरव को बात है कि हमारे देश मे श्राप जैसा नरेश है । पर शजघराने मे ज मे लेकर झापने हमारे व्यवसाय को पीछे छोड दिया है । जब हमारा देश स्वत न होगा तो श्राप हमारे प्रथम राष्ट्रपति होंगे ।” महाराजा गगार्सिहू जी ने मुस्कराते हुए प्रम से श्रपना हाथ सर तेज बहादूर सप्र, के करघे पर रखा भ्रौर कहा, “जब दश स्तेतन होगा तो मुझे बढ़ी खुशी होगी ) उस समय मैं निश्चय ही सोचूगा कि क्या मैं रक्षा विभाग स्वीकार कटे} भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस सी प्रमुख भारतीय राजनीतिक पार्टी द्वारा प्रयम्‌ गोलमेज सम्मेलन मे सस्लित होने से इ कार कर देनें का सहाराना गरगार्मिह जी को खेद था, श्रत द्वितीय गोल मज सम्मेलन में कांग्रेस के भाग ग्रहण को सुनिश्चित करने के लिए महाराज ने प्रत्येक कदम पर भरसव प्रयत्न बिधे । १० जून १६३१ को महात्मा गाँघों महाराजा से भेंट करने बस्त्ई में महाराजा के निवास स्थान 'देवी-भवन' गये तथा दोनों से देर तब स्पष्ट ढंग से दात चीत की । इसी बातचीत के मध्य में महाराजा ने गाँधी जी की इग्लैंड यानो के --~-~-~------~-------- ते गाल भेज सम्मलन के पूोधिवेशन मे सहाराजा गयासिहे का भाषण ता० १७-११-१९३०, गोलमेज सम्मेलन व पूणाधिवंशन को कायवाहिया १९३००३१ पू ३१ ३२ २ दा भौ्मिहजी कै पते पिता साडवाः राजा जावराजासिटजी से सुने विवरण के श्राधार पर




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