कल्याण | Kalyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
464
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनश उपदश्य
२३७ ध ˆ ११५८
३८ मद्य अमीरस ( सं° ) * ( श्रीदादूदयारजी ) * °“ १५४२
३९ मालिक | तू निश्चय दयाल है * ( भ्रीवालकृष्णजी बलदुआ बी ० ए.०५ एल-एल० बी० ) *”* १६५५
४० मैं और मेरा ` ` * { श्रीप्यरिखालजी टदनयुरिया ) * १५३५
५१ यै फल पायो ` * (भआनागरीदासजी ) * ° * “ १६३७
४२ याचना ** (भीमती “रूप हु?) ५ - १४९४
४३ राम-कक्मणकी सकी ( सं ० ) * ( औीतुल्सीदासजी ) '* श्३९७
'४४ रखनाले अनुरोध कक ** (थी भ्नघ्नः) * १५५९
४५ विनय ` ( श्रीरसिकदेवज्जी ) ˆ ° १ ` १८७७
४६ शीकृष्णचन्द्रोदय ` ( साकेतवासी भीबिन्दुजी नह्मचारी ) ˆ * ` ३३
७ शीकृष्णखे विनय - * ˆ ( स्वर्गीय सुखी भीबनवारीलारजीकी “बड़म-ए-इन्दाघन” से) १५७३
४८ भीनन्दनन्दन-नाममाखा ` ` ` ˆ“ ( भीशिवकुमारनी केडिया “कुमार ) ` ` ` ७२१
४९ भीप्रसदी-चन्दन-बन्दना ˆ` + 9 99 ˆ १३२४
५० शओ्रीमद्धागवत ( मूरू एवं माहात्म्य ) सम्पूणं ˆ“ १०७५-१ १५६
५१ भीमद्धागक्त ( सं° ) | ° ( श्रीसूरदासओ ) ** ५९ -* ११५७
५२ श्रीमद्धागवत ` (पुरोहितं भीप्रतापनारायणजी ¶कृविरक्ः ) १९
५२ श्रीमद्धागवतकी आरती ए भागवताङ्क यइ चोथा पेज
५४ भीमद्धागवत-महिमा ` (कविकिष्करं भीरवीन्द्रभतापजी शमां, आयुवदशास्नीः राजवैद्य) १२८६
५५ शरीमनद्धागवत-स्वुति के ** ( ब्यासजी ) ध -- २५४
५६ श्रीरामसे विनय ( सं० ) '”' ** ( श्रीतुल्सीदासजी )* ' ज - ९४७७
५७ भीवज-रज-वन्दना '** (शरीरिवकुमारजी केडिया (कुमार?) ˆ“ ` ९५८६
५८ सशी सीस - * (पुरोहित श्रीप्रतापनारायणजी (कविरत ) “ १४७३
५९ साघु ` “° ( श्रीजगदीशश्चरणरसिजी एम्५ ए (प्रथम) ) - ` १९४७
६० सारंगपद ` ˆ ( प्रेपक--भीविष्णुदन्तजी शमां बी पए० ) ` १९४६
सझूलित
६१ क्रोधके त्यागकी महिमा “* ( महामारत आदिपवं ) - अङ्क १२ टाइटल चोथा पेज
६२ धर्मका स्वरूप । “ (महाभारत) ˆ ^ * 99 % 99
६३ परात्पर भगवान्. भरीकृष्णको नमस्कार ` ( श्रीमद्भागवतत ) * ३
६४ भगवत्परोक्त चटुःरोकी भागवत ओर उसकी ( गोरोकवासी आचार्यं श्रीबालकृष्णजी गोस्वामी; ‹अेयः
व्याख्या > 1 से उद्धत ) १३
६५ भगवान् भीङ्कष्णको नमस्कार ` ( कुन्तीद्वारा की हुई स्तुतिसे ) २०७४
६६ मागवत-कथा-विमुख पुरर्षाके निन्दा -* ( पद्मपुराण) “` १८५.
६७ भागवतका ही सेवन करना चाहिये ` ` ( स्कन्दपुराण ) ४०४
६८ भागवतंसे घर्मरसकी उत्पत्ति { महात्मा गालीजी ) ७५
६९ मङ्खखाचरण * ( श्रीमद्भागवतत ) ˆ“ न २
७० युगरुसरकारकी प्रार्थना * ( प्श्मपुराण ) अङ्क ७ याइटक चौथा पेज
७१ शम-नाम-महिमा । 9३
७२ शान्त कोन हे १. ` * ( योगवातिष्ठ, मुञरष्ठुज्यवहारप्रकरण अ० २); १०५ 5)
७३ झुकशाख्रकी सर्वापरि पवित्रता न ( पद्मपुराण कै 4 १०५९
७४ भीकृष्णका आवाहन ** ( ताराकुमारस्य ) ` अङ्क ८ टाइटल चौथा पेज
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