कल्याण | Kalyan

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Kalyan by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मनश उपदश्य २३७ ध ˆ ११५८ ३८ मद्य अमीरस ( सं° ) * ( श्रीदादूदयारजी ) * °“ १५४२ ३९ मालिक | तू निश्चय दयाल है * ( भ्रीवालकृष्णजी बलदुआ बी ० ए.०५ एल-एल० बी० ) *”* १६५५ ४० मैं और मेरा ` ` * { श्रीप्यरिखालजी टदनयुरिया ) * १५३५ ५१ यै फल पायो ` * (भआनागरीदासजी ) * ° * “ १६३७ ४२ याचना ** (भीमती “रूप हु?) ५ - १४९४ ४३ राम-कक्मणकी सकी ( सं ० ) * ( औीतुल्सीदासजी ) '* श्३९७ '४४ रखनाले अनुरोध कक ** (थी भ्नघ्नः) * १५५९ ४५ विनय ` ( श्रीरसिकदेवज्जी ) ˆ ° १ ` १८७७ ४६ शीकृष्णचन्द्रोदय ` ( साकेतवासी भीबिन्दुजी नह्मचारी ) ˆ * ` ३३ ७ शीकृष्णखे विनय - * ˆ ( स्वर्गीय सुखी भीबनवारीलारजीकी “बड़म-ए-इन्दाघन” से) १५७३ ४८ भीनन्दनन्दन-नाममाखा ` ` ` ˆ“ ( भीशिवकुमारनी केडिया “कुमार ) ` ` ` ७२१ ४९ भीप्रसदी-चन्दन-बन्दना ˆ` + 9 99 ˆ १३२४ ५० शओ्रीमद्धागवत ( मूरू एवं माहात्म्य ) सम्पूणं ˆ“ १०७५-१ १५६ ५१ भीमद्धागक्त ( सं° ) | ° ( श्रीसूरदासओ ) ** ५९ -* ११५७ ५२ श्रीमद्धागवत ` (पुरोहितं भीप्रतापनारायणजी ¶कृविरक्ः ) १९ ५२ श्रीमद्धागवतकी आरती ए भागवताङ्क यइ चोथा पेज ५४ भीमद्धागवत-महिमा ` (कविकिष्करं भीरवीन्द्रभतापजी शमां, आयुवदशास्नीः राजवैद्य) १२८६ ५५ शरीमनद्धागवत-स्वुति के ** ( ब्यासजी ) ध -- २५४ ५६ श्रीरामसे विनय ( सं० ) '”' ** ( श्रीतुल्सीदासजी )* ' ज - ९४७७ ५७ भीवज-रज-वन्दना '** (शरीरिवकुमारजी केडिया (कुमार?) ˆ“ ` ९५८६ ५८ सशी सीस - * (पुरोहित श्रीप्रतापनारायणजी (कविरत ) “ १४७३ ५९ साघु ` “° ( श्रीजगदीशश्चरणरसिजी एम्‌५ ए (प्रथम) ) - ` १९४७ ६० सारंगपद ` ˆ ( प्रेपक--भीविष्णुदन्तजी शमां बी पए० ) ` १९४६ सझूलित ६१ क्रोधके त्यागकी महिमा “* ( महामारत आदिपवं ) - अङ्क १२ टाइटल चोथा पेज ६२ धर्मका स्वरूप । “ (महाभारत) ˆ ^ * 99 % 99 ६३ परात्पर भगवान्‌. भरीकृष्णको नमस्कार ` ( श्रीमद्भागवतत ) * ३ ६४ भगवत्परोक्त चटुःरोकी भागवत ओर उसकी ( गोरोकवासी आचार्यं श्रीबालकृष्णजी गोस्वामी; ‹अेयः व्याख्या > 1 से उद्धत ) १३ ६५ भगवान्‌ भीङ्कष्णको नमस्कार ` ( कुन्तीद्वारा की हुई स्तुतिसे ) २०७४ ६६ मागवत-कथा-विमुख पुरर्षाके निन्दा -* ( पद्मपुराण) “` १८५. ६७ भागवतका ही सेवन करना चाहिये ` ` ( स्कन्दपुराण ) ४०४ ६८ भागवतंसे घर्मरसकी उत्पत्ति { महात्मा गालीजी ) ७५ ६९ मङ्खखाचरण * ( श्रीमद्भागवतत ) ˆ“ न २ ७० युगरुसरकारकी प्रार्थना * ( प्श्मपुराण ) अङ्क ७ याइटक चौथा पेज ७१ शम-नाम-महिमा । 9३ ७२ शान्त कोन हे १. ` * ( योगवातिष्ठ, मुञरष्ठुज्यवहारप्रकरण अ० २); १०५ 5) ७३ झुकशाख्रकी सर्वापरि पवित्रता न ( पद्मपुराण कै 4 १०५९ ७४ भीकृष्णका आवाहन ** ( ताराकुमारस्य ) ` अङ्क ८ टाइटल चौथा पेज




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