अग्निपुराण में काव्यशास्त्रीय तत्व | Agnipuran Men Kavyashastreey Tatv

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Agnipuran Men Kavyashastreey Tatv  by डॉ॰ मुरली मनोहर द्विवेदी - Dr. Murali Manohar Dvivedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ॰ मुरली मनोहर द्विवेदी - Dr. Murali Manohar Dvivedi

Add Infomation AboutDr. Murali Manohar Dvivedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अल्बेरूनी (ग्यारहवीं शताब्दी) की “अल्वेरूनी का भारत नामक पुस्तक में पुराणों की सूची दी हुई है जिसमें अग्निपुराण का उल्लेख है। गौडाधिप बल्लालसेन (बारहवीं शताब्दी) ने अदृभुतसागर में अग्निपुराण का उल्लेख किया है।. शारदातनय (तेरहवीं शताब्दी) ने अपने भावप्रकाशन नामक ग्रन्थ में अग्निपुराण के मतों के विवेचन के साथ-साथ अग्निपुराणकार व्यास का नामोल्लेख भी किया हे। विश्वनाथ ने अपने साहित्य दर्पण में अग्निपुराण का बड़े गौरव के साथ उल्लेख किया है। काव्यस्योपादेयत्वमग्नि पुराणेप्युक्तम्‌ 11” इन विवरणों से स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि अग्निपुराण का अस्तित्व ग्यारहवीं शताब्दी के पूर्व अवश्य विद्यमान था। अग्निपुराण के अन्तरंग प्रमाणों पर यदि हम विचार करते हैं तो यह ज्ञात होता है कि अग्निपुराण में भाषा की दृष्टि से काव्य दो प्रकार के बताये गए हैं- संस्कृत और प्राकृत। अपभ्रंश को अग्निपुराण में काव्य के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है। भामह अपभ्रंश को काव्य का तीसरा भेद स्वीकार करते है । अपभ्रंश का उदय लगभग छठी शताब्दी माना जाता है। अतः स्पष्ट होता है कि छठी शताब्दी के पूर्व अग्निपुराण का अन्तिम संस्करण हो चुका था। स्थूल दृष्टि में यदि अग्निपुराण में आए हुए विषयों की ओर दृष्टिपात किया जाय तो स्पष्ट होता है कि अग्निपुराण एक वैष्णव पुराण है। इसलिए सर्गश्च इस अनुक्रम को छोड़कर इसमें विष्णु के दशावतारों विशेषकर रामावतार एवं कृष्णावतार का प्रारम्भ में ही वर्णन किया गया है। यद्यपि कुछ अन्य पुराण भी वैष्णव पुराण माने जाते हैँ किन्तु उन सभी पुराणों का संस्करण गुप्तकाल में ही हुआ है ऐसा माना जाता है। 1) अल्बेरूनी का भारत 36-37 (2) साहित्य दर्पण 4 10




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now