सेवाधर्म : सेवामार्ग | Sevadharma Aur Sevamarg

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Sevadharma Aur Sevamarg by कृष्णदत्त पालीवाल - Krishnadatt Paliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सेवकों कीं शिक्षा २३ समाज-सेवा के कायं के उपर जो नमूने दिये गये है, उनसे पाटंक यह भी समम गये होगे कि इस कायं से समाज-सेवक श्रपनी जीचिका का प्रश्न भी हल कर सकते है । जिस प्रकार लोग जेल-विभाग बगैर: में मद्दीनों 'और वर्षों मुंक्त एप्रेन्टिसी करते रहते हैं, उंस प्रकार यंदि समाज-सेवा के काये की व्यावह्दा- रिक शिक्षा लेने के लिए कुछ समय दँ, तो अपनी आत्मिक उन्नतिं के साथ-साथ श्राजीवन समाजसेवा करते रहने के लिये जीविकां का प्रबन्ध भी कर सक्ते है और इस प्रकार अपना देदंलीकं श्मीरं परलोक सम्दाल सकते है । भरत्येक संस्था को योग्य प्रचारकों की, मजनीकों की, संगठन कर्तीश्नों चीर सं चालकों की, क्लर्क रौर सन्तरियों की श्रार्वश्यकता है । अनेक लोक-सेवी कायेकन्ती इन बातो की दक्षता प्राप्त कर के श्राजीवन पना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण॒ करते हुए समाज-सेवा कां पवित्रं कायं कर संकते हैं यद्यपि पाश्चाव्य देशों में भी सेवकों की शिक्षा का काम पहले गैर-सरकारी व्यक्तियों और संस्थाद्मों ने ही शुरू किया, परन्ठु इद्धलैणड के विश्वविद्यालयों ने उसे शीघ्र ही अपना लिया । चास्तव में नये ढज् से सेवा-का्ये के सद्घालन और सजञठन में बदँ के विश्वविद्यालयों ते भ्रसुख भाग लिया श्रौर इस सम्बन्ध में जितने मुख्य आन्दोलन वहाँ हुए, वे झधिकतर विश्वविद्यालय के की तथा उदारमना स्त्री-पुरुषों की शोर से दी उठाये गये। मेर-सरकारी व्यक्तियो में सब से पद्दले साउथवक की वोमेन्स यूनीवर्सिटी सेटिलमेर्ट ने सेवको की शिक्षा का काय शुरू किया। इस सेटिलमेर्ट की स्थापना ाक्सफीडे तथा कैम्ब्रिज के वोमेन्स कालेजों (स्त्रियों के कालेजों ) ने की थी। पीछे. से लन्दन




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