पपीहा | Papiha
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री गुलाबरत्न बाजपेयी - Shree Gulaabratn Bajapeyai
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सावन की रातः
दरवारमे “सावनकी रात” का जठसा मनाया लायगा । यद इतना प्यारा ओर
अनोखा होगा कि आज तक किसीने इतना सुन्दर उत्सव न देखा होगा ।
इस जल्सेम राजकोषसे लम्बी रकम खर्चेकी जायगी ।. कवि सघुप घटा बन-
कर छायेगें और उनकी कविताके छन्दोमे राजनटी मीरा मयुरी वनकर आनन्द
चत्य करेगी ।. महाराजका हुक्म है; उस दिन सब लोग ठाटवाटके साथ.
राज दरवारमे हाजिर हो ।”
चारो तरफ तहलका सच गया । लोग खुश्ीसे उदक पडे । जल्सेके
लिये धूमवाससे तैयारियाकी जाने लगी ।. अमीरोने दिल खोलकर नडे
पोशाकोकि आईर दिये, गरीब कर्ज ले ले कर साजोसामान इकट्ठे करने लगे ।
इत्र फुलेल तो इस लम्बी तादादम खरीदा गया; कि दुकानदार मालोमाल हो
गये! न ओर फैशनकी एक भौ चीज न रह गयी !
(२)
आज जहा चारो ओर आनन्दका वागीचा कदरा रहा था; वहा एक अब-
लिली कटी सुरा री थी 1 आज जहा लोगोंकि दिल-दरिया वन चुके ये,
चहा एक दिलमे उदासोका तूफान चल रहा था ।
यह कौन थी ?--महारानी अजना !
राता भयानक सनाया, वह विस्तरपर लेटी हुई आकाशकें तारे निनं
रही थीं! चाद् चसक रहा था, पर उनके दिलमे अन्वेरो घिरी थी ।
वागीचेसे फूलोके झुण्ड अठखेलियाकर रहे थे; पर उनका दिल नुकीले काटोरि
न्चल्नी वन रदा था। वह इस समय प्रथ्वीमण्डलकी एक निस्तेज आभा थी 1
उनका हृदय भूकम्पकी तरह हिल रहा था। शरीरके अन्दर पीडा थी -
( ९ )
User Reviews
No Reviews | Add Yours...