अज्ञानितिमिर भास्कर | Agyanitimir Bhaskar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
394
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऋषिशब्दका अर्य
पोपलोगका वन
वेद दिया गुर रखते द.
देदस मदिरा पिनेक्ा संच.
श्रुतिघोमें परस्पर दिरोव:
देदमें पै, दिदु और कुचेके मारने दारते लिखा.
वेदमे पर्प, खी चर कन्पाका दवङूरमेका उपदेश दे.
? दाने चास बराद्यणोते दन्न चया इ.
देवताऊँ बलीदान करनका प्रचार.
चेदोंसे ज्ी मंत्र दै.
वेदम मरराका प्रयोगढे.
दयानंदका पाखंस.
शुक्ष यजुर्द कोने वनाया दे
इयानेद सरस्वतीका कपोल कल्रित झर्ये..-
दयानेक्छं उपनीपद् पयुखमेनी शक्ल दे.
दयातंदका जैन मत विपे जूढ विचार.
वेदम यज्ञका प्रयोजन.
सर्वं ओर पृच्दी विपे दयानेद्का विचार,
चेद ववि पमित मोक मूर्त अनिप्राच.
देद्य वाम सारम.
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प्रथम खड.
अन्ति स्थापन.
पाते व स्याने.
यज्ञाचा नेद.
नुखानक् नाम.
पशु यज्ञा विदि.
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