अज्ञानितिमिर भास्कर | Agyanitimir Bhaskar

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Agyanitimir Bhaskar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऋषिशब्दका अर्य पोपलोगका वन वेद दिया गुर रखते द. देदस मदिरा पिनेक्ा संच. श्रुतिघोमें परस्पर दिरोव: देदमें पै, दिदु और कुचेके मारने दारते लिखा. वेदमे पर्प, खी चर कन्पाका दवङूरमेका उपदेश दे. ? दाने चास बराद्यणोते दन्न चया इ. देवताऊँ बलीदान करनका प्रचार. चेदोंसे ज्ी मंत्र दै. वेदम मरराका प्रयोगढे. दयानंदका पाखंस. शुक्ष यजुर्द कोने वनाया दे इयानेद सरस्वतीका कपोल कल्रित झर्ये..- दयानेक्छं उपनीपद्‌ पयुखमेनी शक्ल दे. दयातंदका जैन मत विपे जूढ विचार. वेदम यज्ञका प्रयोजन. सर्वं ओर पृच्दी विपे दयानेद्का विचार, चेद ववि पमित मोक मूर्त अनिप्राच. देद्य वाम सारम. 21 ॥ ^ | 3 7 | (4 प्रथम खड. अन्ति स्थापन. पाते व स्याने. यज्ञाचा नेद. नुखानक् नाम. पशु यज्ञा विदि. ना ॥ „५५ 1 ८ «। ९ ८ ५ + द -4 ठ € ¢ 44 401 „4 ९/1 ९ „4 ~ ९1 ९ „र 2 £ ल व ध 7 = @ ^ ^~“ +, ~ ^ 4 ^ ^




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