जैन सुभोद रत्नावली | Jain Suboad Ratnavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८५)
श्ीनेमी माधजीका स्तूदन ॥ नासजीकी देशीमें ॥
नमी, यादव वमि उपनाहो प्रम्)
सूर्य सरीखा दीपता हो नेमजी ॥ ॥
नेमजी, समुद्विजय राजा भलाजी कांड 1
शिवादेवी सुत मलपता हो नेमजी ॥ २॥।
नेमजी, रमतडी रमता धकाजी प्रभू।
आयुद्ध शाद्यं आविया हो नेमजी ॥ 5 1!
नेमजी, घनुप्य चढाइ शंख पूरियों प्रभू !
श्रीपत उण घबसविया हो नेमजी 4: '
नेमजी, अठुव्य चली अवलोकन
हने रष आये घणो हो नेमड
नेमजी, उग्रषेनकी दीक्यीनी जर
रजुटसूप सहामणो दो नेर्
नेमजी, व्याव रष्यो शन उं =
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