जैन सुभोद रत्नावली | Jain Suboad Ratnavali

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Jain Suboad Ratnavali by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८५) श्ीनेमी माधजीका स्तूदन ॥ नासजीकी देशीमें ॥ नमी, यादव वमि उपनाहो प्रम्‌) सूर्य सरीखा दीपता हो नेमजी ॥ ॥ नेमजी, समुद्विजय राजा भलाजी कांड 1 शिवादेवी सुत मलपता हो नेमजी ॥ २॥। नेमजी, रमतडी रमता धकाजी प्रभू। आयुद्ध शाद्यं आविया हो नेमजी ॥ 5 1! नेमजी, घनुप्य चढाइ शंख पूरियों प्रभू ! श्रीपत उण घबसविया हो नेमजी 4: ' नेमजी, अठुव्य चली अवलोकन हने रष आये घणो हो नेमड नेमजी, उग्रषेनकी दीक्यीनी जर रजुटसूप सहामणो दो नेर्‌ नेमजी, व्याव रष्यो शन उं = भष




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