हिंदी सहित्य की वर्तमान विचार - धारा | Hindi Sahitya Ki Varatman Vichar-dhara

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Hindi Sahitya Ki Varatman Vichar-dhara by श्रीराम शर्मा - Shri Ram Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दिन्दी फरपिता और छायाशाद विकास के साथ नवीनत। का अत्वघिक सम्वन्व है। चीन साहित्य में हम यदि भट्टतवाद और रहन्थवाद आदि नाम सुनते थे तो इस युग में अभिन्५यनान।त यौर प्रतीकवाप्‌ आदि कई नयं नथ नाम सुत्त हं । कि्यु *छोयाबाप का नाम इतना भ्चलिति हुआ है कि पिछले सभी वाद प्रायः इसी मे घुने भर से जान प५ने लगे।. मानों सभी ने इसके साथ समझौता! करके इसे अपना अध्रगण्य सन लिया हो । वह कहा अनमीचीन ने होगा पि हि्दी में छायावाद के युग का एक निश्चित स्थान होगया है । ५।५ कवीर हिन्दी का प्रथम रहस्थवापो कवि भानों जाप हैं । अपनी परिस्थितियों के करण उस पर भारवोय अद्तनाद तथा सूफों सिद्त्तों का प्रभाव पडा था । वस्तुत मानव-आत्मा जव सत्य की (४५वर) खोज के छिये तडकपी हैं ०4 उसे साथ संसार इई5वरमथ जाप पढ़ता हैं । थह स्थिति निर्गुणवादी कवियों की ही बढ़ी वर चुम, चू मीरा भादि अनत कवियों की भी हुई थी- मोको कदा दृढवन्देमे तो तेर्‌ पसम -कनीर ^“सि५।९।५4 नय सव जय यतीः पुसी




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