पोददार रामवतार अरुण कृत महाभारती में काव्य, मनोविज्ञान, संस्कृति एवं दर्शन एक अध्ययन | Poddar Ramavtar Arun Krit Mahabharti Mein Kavya, Manovigyan, Sanskriti Evm Darshan Ek Adhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : पोददार रामवतार अरुण कृत महाभारती में काव्य, मनोविज्ञान, संस्कृति एवं दर्शन एक अध्ययन  - Poddar Ramavtar Arun Krit Mahabharti Mein Kavya, Manovigyan, Sanskriti Evm Darshan Ek Adhyayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कपिल कुमार अग्निहोत्री - Kapil Kumar Agnihotri

Add Infomation AboutKapil Kumar Agnihotri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
„ ¢) घ्टनाओं का पुंजीभूत रूप है । पाश्चात्य विचारक मँ अरस्तु ने एसे ही दिव्य एवं अलौकिक + जीचना | | पट जोर कथानकं ७४. पात्रँ की जीवन्त गाथा को काव्य का विषय बनाने को जोर दिया। इस कथानक के मोटे. तौर पर दो भाग किए जा सकते हैं- 1.अधिकारिक कथा 2. प्रसांगिक कथा । जो फल दः | है एवं कथा में प्रयुक्त अन्य पात्रो की घटनाएं प्रसांगिक कथारयें हैं, पाश्चात्य विचारकों का अभिमत है कि कथा में औत्सुक्य विस्तार चरमसीमा और संहार होना चाहिए तदनुरूप छोटी-छोटी ऐसी घटनओं का. चयन साहित्यकार या कथाकार को करना चाहिए जिसमें पात्रों की विश्वसनीयता वनी रहे। पोद्दार रामावतार बिहार प्रान्त के निवासी है, महाभारती उनका ऐसा ही प्रवन्ध काव्य है, जिसमें भारतीय शक्ति, सौन्दर्य और साधना के साथ आर्यावर्त के पौराणिक पात्रों की . यशोगाथा उपनिबद्ध है। प्रस्तुत काव्य के प्रेरणा ्लोत के रूप में कवि ने स्वयं जमनी के साहित्य मित्र डा0 फिल खर्तं खर्न का उल्लेख किया हे । जिन्होने ये कल्पना की यदि कालिदास ने एक ग्रन्थ की रचना की होती तो वह किस रूप में दिखाई देता। यह. जिज्ञासा कवि के लिए चुनौती बन गयी। कवि ने लिखा है कि कालीदास की समस्त रचनाएं ` ५५, सुरभित सराज मंगल के समान प्रधान है सूर्य की सप्त रश्मियाँ सी उनकी प्रबन्ध चेतना में सुनिश्चित लक्ष्य की पूर्व क्षमता है। ` कवि के चिन्तन प्रक्रिया की पृष्ठ भूमि में कभी वाल्मीकि को देखता और क पोट ट्‌ विदेशी तुलसीदास को पर अर्ध्यमुकुलित मानस में इतनी प्राकृतिक शक्ति कहाँ कि एक आर्य मित्र की साहित्यिक इच्छ अंशतः भी पूर्ण हो सके। (1 ` छायावाद के पाश्चात्‌ कामायनी जैसा कोई प्रकृति काव्य नहीं लिखा जा सका, इस




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now