हिन्दू राष्ट्र का नव निर्माण | hindu-rashtra Ka Nava Nirman
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दू-राष्ट्र का तव निभं १३
तो हमारा अति शीघ्र नाश हो ` जायगा । क्योकि ्रवे-तक भिस
'हिन्दु संस्कृति ने हमें जीवित रदखा है-बह् इतनी लीं, दोष-
पूर्ण और अव्यवहारिक हो गई है कि व वह ठहर नहीं सकती ।
प्रत्येक संस्कृति के लिये युग आते हैं । युग धर्म के 'अनुसार महा-
जादियों की संस्कतियां बदलती ` रहती है ! जो जाति अपनी
संस्कृति को युगधर्म के अनुकूल नहीं बना सकती वह्द देर तक.
जीवित नदीं रह सकती । हिन्दु जाति ने 'झपनी संस्कृतियों को
समय २ पर बदला है, यद्यपि संसार की सभी जातियों के इति-
हास में ऐसे ही उदाहरण मिलते हैं--परन्तु मूल संस्कृति स्थित
रखते हुए केवल आार्थिक परिवतन भारत ही में हुए हैं ।
आज भारत की स्वामिनी होने योग्य कोई जाति भारत में
नहीं है । मुसलमान, इंसाई और अन्य हिन्दु इतर जातियों में से
कोई भी जाति भारत की मालिक बनने की अधिकारिणी नहीं ।
ये समी जातियां यद्यपि भारतीय है, परन्तु 'भारतीयता से दूर
. हैं । प्रस्येक सुसलमान अपने को अपने पड़ौसी हिन्दु की झपेक्षा
छर फे एक अपरिचित मुसलमान को अधिक सगा सममत दै |
यही दशा ईसाइयों ओर अन्य जातियों की है । हिन्दु भी भारत
के मूल निवासी नहीं, पर वे उन अय के वंशज हैं जिन्होंने
भारत की जातीयता, गौरव और उसकी लोकोत्तर संस्कृति
कायम की है । इसके सिवा हिन्दुओं का भारत भूल स्थान है ¦
भारत. की अज सव से प्राचीन जाति हिन्डु है--ओओर मेरा कहना
य. है कि वही वास्तव मे मारतःकी स्वामिनी है । अन्य जातियां
उसकी सहयोगिनी होने के योग्य हैं ।
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