बिपता | Bipta

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bipta by श्रीमती उमा नैहर - Srimati Uma Naihar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीमती उमा नैहर - Srimati Uma Naihar

Add Infomation AboutSrimati Uma Naihar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
खिला [ सीन 4 जल, इघार--शाम कर, आफना । यह भू डी काटी जघ्ने, उक्षा काम जाने ! जनो-नसु डी कारी !--यह क्था कहती हौ, अभ्या? मि० पा०--मे यही कहती हं। बह है मूीकाडी ! जनी--वहन नैन ?--यह क्यों ? मि या०--झरे ! तो शायद तेर बाबू ने सुभः अमी नहीं बताया ! ज़नी--नही तो ! बात कया है, श्यस्मो ! भि का०्-दौह ! दोड ¦! देख तो, शायद दिक खान लकर अ शया | जेनी-- खिड़की के पास जाकर ] कोई मी नहीं हे, श्या ! मि० पा-ड म जये ¦! . . . ऋच्छा चो शुन) पर दृश्य पट म रखना! बात कहते फिंश्मे का पै




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now