श्रीमद्भगवदीता मोटे अक्षर वाली | Srimadbhagawadgeeta Mote Akshar Vali

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Srimadbhagawadgeeta Mote Akshar Vali by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय १ २९ सुभद्रापुत्र अभिमन्यु ओर द्वौपदीके पचो पुत्र यह सब ही महारथी हैं ॥ ६ ॥ अस्माक तु विशिष्टा ये तानिवोध द्विजोत्तम । नायका मम सैन्यस्य संज्ञाथ॑ तान्त्रवीमि ते ॥७॥ है घाहाणश्रेष्ठ ! हमारे पक्षसें भी जो-जो प्रधान हैं उनको आप समझ लीजिये, आपके जाननेके लिये मेरी सेनाके जो-जो सेनापति हैं, उनको कहता हूँ ॥ ७ ॥ भवान्भीष्मश्च कणेर कृपश्च समितिंजयः । अश्वसामा विकर्णश्च सोमदत्तितथेव च ।॥<॥ एक तो खयम्‌ अप ओर पितामह भीष्म तथा कणं ओर संग्रामविजयी कृपाचार्य तथा वैसे ही अश्वत्थामा, विकर्णं ओर सोमदत्तका पुत्र भूरिश्रवा <} अन्य च वहवः श॒श सदथं त्यक्तजीविताः \ नानारास्प्रहरणाः स्मे युद्धविारदाः ॥६। तथा ओर भी वहुत-से शूरवीर अनेक प्रकारक शा्र-अख्रोंसे युक्त मेरे लिये जीवनकी आस्ाको त्यागनेवरे सव-के-सव युखमे च्ठुर ह \ ९ ]




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