समाज शास्त्रीय अनुसंधान का तर्क और विधियाँ | Samaj Shastriy Anusandhan Ka Tark Aur Vidhiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
338
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वंज्ञानिक प्रसाली के झाघारमूत सिद्धास्त 23
6 वैज्ञानिकों द्वारा प्रयुक्त अवघारणाएँ सामान्यत जटिल श्रथवा कठिन
होती हैं । उनका प्रयोग भी विशेष म्र्थ व परिस्थिति में क्या जाता है 1
7. श्रवधारणाश्रो का विकास होना रहता है तया उनमे परिवतेन भी होता
रहता दै । वे प्रपनी प्रकृति, विशेषनाएँ श्रथवा अध्ययन केन्द्र बिन्दु समय-समृय पर
यदल भी सकती है 1
8 अव्रधान्णाका उदेश्य यथार्थं (एत्व) को समभने एव उसे स्पष्ट
करने में समाज वैज्ञानिकों की सहायना करना होता है 1
9 जब प्रवघारणाओों को निरीक्षण की इकाइयों तथा उनकी विशेषत्ताधो
के श्राधार पर वर्मीकृत करने हेतु प्रयोग में लाने हैं तो उसे हम चर ( ४४118916 )
कहते है । चर भ्रवधारणा को माध्य विमिति है । उदाहरणाय दुर्वीम के सामाजिक
विघटन के सिद्धान्त में मानव जनसख्या को समानता, एकता व विचलन के विरोध
के झाघारों पर वर्गीकृत क्या गया है ।
10 श्रववारणाणं उप्रकल्पना (प१0०116515) निर्मारा मे सहयोगी होती
है! ष्टी बी बौटामोर'के अनुमार नई प्रवधारणा दो उद्यो की पूति मे सहायक
होनी है । प्रथम श्रव तक पृथर् पृथक् रूप में प्रकट न होने वाली घटनाओं के वर्गों
को ये वर्मीकृत श्रथवा विभाजित करते हैं, तथा द्वितीय, वे घटनाश्रो के सक्षिध्त वर्णन
व प्रागे के विश्लेषण मे सहायक होती हैं ।
11 म्रवघारणाएँ सिद्धान (षच्ण+) के श्रनिवायं श्रम होनी है,
क्योकि प्रयुक्त श्रववारणाग्रो के श्रघार पर टी 'सिद्धान-निर्माण” की नीव रखी
जानीहै।
12 एक अवधारणा न तो सत्य होती है न भ्रसत्य, क्योकि बहु तो
केवल मात्र एस्द्रिय तथ्यों (52055 318} का नामोलेख या सकतीकरणा ही होता
है। यह मानव इन्द्रियों को प्रभावित करने वाले अथवा उनमे अपना प्रतिबिम्ब या
सवेदन उत्पन्न करने वाले तथ्यों का एक भमूर्त रूप ही होता है ।
13 श्रदधारणाएं मापनात्मक' हीनो चाहिए । प्रदधारणाश्नो को मापना
उसकी श्रमूर्तता पर निर्नर करता है, वह जितनी कम श्रूतं होगौ उत्तनी ही सरलता
से उसे मापा जा सकेगा ।
14 पव्घारगणाो की ्रस्पप्ट्ताग्नो को, दूर. कसले वे एन् उन्हें, सील: सर;
से परिभाषित क्या जाना चाहिए तथा उनका 'मानकीकरण' (51807ं810(28-
(00) किया जाना चाहिए 1
15. मिचेल (वा1९ ) ने डिक्शनरी झाफ सोश्योलोजी' में अवधारणाम्ो
के लिए तीन कसीटियों का उल्लेख किया है* वे हैं--
1 टन्छकछर वद क्र्छ्वन्छ 0 ता, 43
2 © ०००८० पव ० ल, ४३
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