समाज शास्त्रीय अनुसंधान का तर्क और विधियाँ | Samaj Shastriy Anusandhan Ka Tark Aur Vidhiyan

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Book Image : समाज शास्त्रीय अनुसंधान का तर्क और विधियाँ  - Samaj Shastriy Anusandhan Ka Tark Aur Vidhiyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वंज्ञानिक प्रसाली के झाघारमूत सिद्धास्त 23 6 वैज्ञानिकों द्वारा प्रयुक्त अवघारणाएँ सामान्यत जटिल श्रथवा कठिन होती हैं । उनका प्रयोग भी विशेष म्र्थ व परिस्थिति में क्या जाता है 1 7. श्रवधारणाश्रो का विकास होना रहता है तया उनमे परिवतेन भी होता रहता दै । वे प्रपनी प्रकृति, विशेषनाएँ श्रथवा अध्ययन केन्द्र बिन्दु समय-समृय पर यदल भी सकती है 1 8 अव्रधान्णाका उदेश्य यथार्थं (एत्व) को समभने एव उसे स्पष्ट करने में समाज वैज्ञानिकों की सहायना करना होता है 1 9 जब प्रवघारणाओों को निरीक्षण की इकाइयों तथा उनकी विशेषत्ताधो के श्राधार पर वर्मीकृत करने हेतु प्रयोग में लाने हैं तो उसे हम चर ( ४४118916 ) कहते है । चर भ्रवधारणा को माध्य विमिति है । उदाहरणाय दुर्वीम के सामाजिक विघटन के सिद्धान्त में मानव जनसख्या को समानता, एकता व विचलन के विरोध के झाघारों पर वर्गीकृत क्या गया है । 10 श्रववारणाणं उप्रकल्पना (प१0०116515) निर्मारा मे सहयोगी होती है! ष्टी बी बौटामोर'के अनुमार नई प्रवधारणा दो उद्यो की पूति मे सहायक होनी है । प्रथम श्रव तक पृथर्‌ पृथक्‌ रूप में प्रकट न होने वाली घटनाओं के वर्गों को ये वर्मीकृत श्रथवा विभाजित करते हैं, तथा द्वितीय, वे घटनाश्रो के सक्षिध्त वर्णन व प्रागे के विश्लेषण मे सहायक होती हैं । 11 म्रवघारणाएँ सिद्धान (षच्ण+) के श्रनिवायं श्रम होनी है, क्योकि प्रयुक्त श्रववारणाग्रो के श्रघार पर टी 'सिद्धान-निर्माण” की नीव रखी जानीहै। 12 एक अवधारणा न तो सत्य होती है न भ्रसत्य, क्योकि बहु तो केवल मात्र एस्द्रिय तथ्यों (52055 318} का नामोलेख या सकतीकरणा ही होता है। यह मानव इन्द्रियों को प्रभावित करने वाले अथवा उनमे अपना प्रतिबिम्ब या सवेदन उत्पन्न करने वाले तथ्यों का एक भमूर्त रूप ही होता है । 13 श्रदधारणाएं मापनात्मक' हीनो चाहिए । प्रदधारणाश्नो को मापना उसकी श्रमूर्तता पर निर्नर करता है, वह जितनी कम श्रूतं होगौ उत्तनी ही सरलता से उसे मापा जा सकेगा । 14 पव्घारगणाो की ्रस्पप्ट्ताग्नो को, दूर. कसले वे एन्‌ उन्हें, सील: सर; से परिभाषित क्या जाना चाहिए तथा उनका 'मानकीकरण' (51807ं810(28- (00) किया जाना चाहिए 1 15. मिचेल (वा1९ ) ने डिक्शनरी झाफ सोश्योलोजी' में अवधारणाम्ो के लिए तीन कसीटियों का उल्लेख किया है* वे हैं-- 1 टन्छकछर वद क्र्छ्वन्छ 0 ता, 43 2 © ०००८० पव ० ल, ४३




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