आकाश के तारे धरती के फूल | Aakash Ke Taare Dharati Ke Phool
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भोपटी १८
हते धसतीकी क्वाती पर इस तरह छितर गं कि जसे इट-रोडोके अतिरिक्त
वे कमी और कुछ थी दी नही ।
राव आया, इधर-उधर घूमा । इजीनियर आये, इधर-उधर घूमे,
पर अट्टालिका जो औन्वेमुंह गिरी-सो-गिरी !
वह अब मछवेका टेर थी, मलवेका टेर ही रही ।
भोपडी फिर ज्यो-की-त्यों खडी थी । उसने अट्टालिकाका यह रूप
देखा, तो वहं सिहर उरी, पर उसका कण्ठ स्वरहीन ही रहा 1
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