प्रमुख राजनीतिक विचारकों की चिन्तनधारा | Pramukh Rajanitik Vicharakon Ki Vicharadhara

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Pramukh Rajanitik Vicharakon Ki Vicharadhara by जय नारायण पाण्डेय - Jay Narayan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ प्र ) कु फेलीज, सोलन के सुधारवादी नियमं थे श्रौर संबंसे बढ़कर ग्रपनीं सुक. ्न्त- द ष्टि तथा मर्मभेदिनी पर्यवेक्षण शक्ति थी । उसके विचारो मे तारतम्य तथा सैद्धान्तिक स्थिरता ( 0०९१६] (०थट्छ८७ ) की शरोर श्रविक ध्यान नहीं दिया गया है | किन्तु रिपध्लिक' मे सौन्दयंमयी स्वच्छन्दवादिता से मनुः प्रारित श्रसम्बद्ध किन्तु आंकरषंफ निन्य सजाये गये हैं ।* वास्तविकं चान के प्रारम्भिक चरण के रूप में परिभाषां ( 0007000 } की व्याख्या करने का श्रेयप्लेटोकोदहै। परिभाषा का श्रमिग्रायं किसी वस्तु-तत्व के भ्राकस्मिके तथां श्रसथायी विशेषणो को दर कर उसका श्रावश्यक तथा स्थयी रूप तिरिचतं करना है | सच्चा ज्ञान बाह्य-स्वरूप से नहीं बर्कि श्रसूतं-चिन्तन (28186110) दारा सम्भव है जो विशेषताश्रों श्रौर गुणों को सामान्य परिज्ञन ( 2706781 {१68 07 एि00 ) के रूप में स्थिर करता है | “दार्शनिक दृष्टिकोण वस्तुभ्रौं को श्रपते ऊपरी था बहरी ` ठचि में नहीं देखना है बल्कि इंस रूप में है जिसमें श्रमूतं भावंनाएं ्रन्तनिर्हित ह 1 ‡ वास्तवित गण तो गुण का मौलिकं काल्पतिकं स्वरूप रै श्रौर वास्तविक ज्ञान उस स्वरूपं को देखंने-समंभने की पर्याप्त प्रेरणा तथा स्फूति दी है| (21011210 {0 1 0 66 प्ररत पदण]€ ) | यही गीतां का योग-क्षेम है श्रौर यहीं प्लेटो का वास्तविकं ज्ञान । समाज, ज्ञानमागं तथा दशंन-तत्वं प्लेटो से मानवीय श्रात्मा के तीन प्रमुख, चत्वों का उल्तेख किया--जुधा, भावना तथा बुद्धि, जिनकी प्रेरणा से जीवन में साहरु, सहिष्णुता तथा घम- विवेक का श्रम्युदय होता है । इन गुणों की. प्राघान्य किसी-न-किसी, रूप में रहता है श्रौर समाज में तीन तरह के वर्ग क्रमशः दृष्टिगोचर होते हैं। चुधा- तृप्ति के लिये परिश्रम करने वाले . उत्पादक वर्ग; भावना तथा देश भक्ति के प्रतीक सेनिक्र वगे श्रौर बुद्धि, वैभव-युक्त श्रभिभावक तथा न्यायंदार्ता वग । नें 1] 115 {11110507 15 21656246 29 भ< हिप 16 25 9 2८7080८6 €ण0211151त्‌ कधा 2 ऽ€65 गा नदि एप 90६ - वटि 60161216 5985 00 0101415 27 06120516. (प्ण ०. 1) प 2२८ ४1725 25 धा :656४६6वे पटफणञल]च्<§ = ६0 ८000009 00572110 9घ. धिसिंप्रा्ट5 ध्प्फश्०्तांडते 39 . पल 291८४ - 1068 ; फट प 5प्ल्लौ थद 2 26 पठण्णुल्वहट ग एागाज्ञ्नेणर 29 365 ण्ट 5608९, (४0777 रण). 1)




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