प्रमुख राजनीतिक विचारकों की चिन्तनधारा | Pramukh Rajanitik Vicharakon Ki Vicharadhara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ प्र ) कु
फेलीज, सोलन के सुधारवादी नियमं थे श्रौर संबंसे बढ़कर ग्रपनीं सुक. ्न्त-
द ष्टि तथा मर्मभेदिनी पर्यवेक्षण शक्ति थी । उसके विचारो मे तारतम्य तथा
सैद्धान्तिक स्थिरता ( 0०९१६] (०थट्छ८७ ) की शरोर श्रविक ध्यान
नहीं दिया गया है | किन्तु रिपध्लिक' मे सौन्दयंमयी स्वच्छन्दवादिता से मनुः
प्रारित श्रसम्बद्ध किन्तु आंकरषंफ निन्य सजाये गये हैं ।* वास्तविकं चान के
प्रारम्भिक चरण के रूप में परिभाषां ( 0007000 } की व्याख्या करने का
श्रेयप्लेटोकोदहै। परिभाषा का श्रमिग्रायं किसी वस्तु-तत्व के भ्राकस्मिके तथां
श्रसथायी विशेषणो को दर कर उसका श्रावश्यक तथा स्थयी रूप तिरिचतं करना
है | सच्चा ज्ञान बाह्य-स्वरूप से नहीं बर्कि श्रसूतं-चिन्तन (28186110)
दारा सम्भव है जो विशेषताश्रों श्रौर गुणों को सामान्य परिज्ञन ( 2706781
{१68 07 एि00 ) के रूप में स्थिर करता है | “दार्शनिक दृष्टिकोण
वस्तुभ्रौं को श्रपते ऊपरी था बहरी ` ठचि में नहीं देखना है बल्कि इंस रूप में है
जिसमें श्रमूतं भावंनाएं ्रन्तनिर्हित ह 1 ‡ वास्तवित गण तो गुण का मौलिकं
काल्पतिकं स्वरूप रै श्रौर वास्तविक ज्ञान उस स्वरूपं को देखंने-समंभने की
पर्याप्त प्रेरणा तथा स्फूति दी है| (21011210 {0 1
0 66 प्ररत पदण]€ ) | यही गीतां का योग-क्षेम है श्रौर यहीं प्लेटो
का वास्तविकं ज्ञान ।
समाज, ज्ञानमागं तथा दशंन-तत्वं
प्लेटो से मानवीय श्रात्मा के तीन प्रमुख, चत्वों का उल्तेख किया--जुधा,
भावना तथा बुद्धि, जिनकी प्रेरणा से जीवन में साहरु, सहिष्णुता तथा घम-
विवेक का श्रम्युदय होता है । इन गुणों की. प्राघान्य किसी-न-किसी, रूप में
रहता है श्रौर समाज में तीन तरह के वर्ग क्रमशः दृष्टिगोचर होते हैं। चुधा-
तृप्ति के लिये परिश्रम करने वाले . उत्पादक वर्ग; भावना तथा देश भक्ति के
प्रतीक सेनिक्र वगे श्रौर बुद्धि, वैभव-युक्त श्रभिभावक तथा न्यायंदार्ता वग ।
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