राजनीतिक निधनध | Rajneetik Nibhandh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
392
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ १६ |
'किनके हितों मे होता है । राज्य में एकता बनाए रखने की समस्या पर उनमें सर्व॑या
असामंजरथ रहता है । प्लेटो यह समभता है कि यदि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को
अपनी योग्यतानुसार पद मिलें श्रौर ब्यासक वर्ग में से वे सब कारण, जो कि उन्हें ष्ट
करते हैं या शोषण करने के लिए प्रेरित करते हैं, टूर कर दिये जायँँ तो एकता
स्थापित हो सकेगी । प्लेटो के शासक-वगं सम्पत्ति ग्रौर परिवार की साम्यवादी व्यवस्था
अपनाएँगे श्रौर सनतों की तरह से रहते हुए .राज्य की सेवा करगे । श्रतु समाज श्रौर
राज्य के विभाजन को दूर करने के लिए प्लेटो ह्वारा वताए हुए इन सुधारों को
अपनाने के पक्ष में नहीं हैं । उसका विश्वास है कि वे राज्य में एकता के स्थान पर
एकरूपता स्थापित करेंगे.। प्रगति श्रौर विकास के लिए विभिन्नता एवं व्यक्ति की
स्वतन्त्रता ग्रावक्यक है । प्लेटोनिक राज्य श्राधघुनिक ब्दो में सर्वाधिकारी राज्य कटय
जा सकता है । प्रौ० जोड ने तो इसको फासिस्ट राज्य तक कहा है । श्रररतु के लिए
सवंश्रष्ठ व्यावहारिक राज्य वंधानिक-सीमित प्रजातन्त्र है । उसने .श्रपनी पुस्तक
*्पोलिटिव्स' में कहा है :-- , =
राज्य की प्रकृति बहुवादी है । राज्य से परिवार श्रौर परिवार से व्यक्ति;
क्योकि परिवार रज्य से श्रौर व्यक्ति परिवार से श्रधघिक (सम. त्वपूर्णं) है ।
इसलिए हमें इस ग्रत्यघिक एकता को प्राप्त नह्दीं करना चाहिए । यदि हम
ऐसा करगे तो राज्य का विनाश हो जायगा । राज्य केवल बहुत से व्यक्तियों
का ही नहीं किन्तु विभिन्न प्रवार के व्यक्तियों से वना हुआ है। समान व्यक्ति
मिलकर राज्य नहीं बना सकते ।”'
यद्यमि उनके दर्शन की उत्पत्ति नगर-राज्य में हुई थी श्रौर नगर-र/्यों
के युग का उन प्रर यथेष्ट प्रभाव है; फिर भी, उनके विचार सब कयलों के लिए श्रौर
सब प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओओं के लिए महत्वपूर्ण है। ग्रीक राजनीतिक-
दर्बन का प्रभाव, विज्षेषतः श्ररस्तू का प्रभाव, पश्चिमी राजनीतिक विचारधारा पर
यधेप्ट रूप पड़ा हैं। एक सहस्त्र वर्ष तक समस्त मध्ययुग में सामाश्कि श्रौर
राजनीति संस्थाश्रों के सम्बन्ध में श्ररस्तू के प्रभाव को श्रन्तिम रूप से माना जाता
-रहा । उसका प्रभाव इतना श्रधिक था कि केवल उसके नाम लेने मात्र से किसी भी
बौद्धिक विवाद का निणंयहौो जाताथा। शुलास्टिक दशन पद्धति.ने श्ररर्तूकी
बुद्धिवादी विचारधारा ग्रौर संत श्रगस्ताइन के धार्मिक उपदेशो का सम्मिश्रण किया
था श्रौर यह् मध्ययुग का स्वीकृत दर्शन रहा है । एक प्रकार से इसने भ्रत्यधिक हानि
पर्हुचाई । इसने मौलिकता के नवीन विचारों कौ ग्रोर सृजन करने क योग्यता का
एक सहस्त्र वर्षो तक गला घोंटा । श्ररस्तु के इस दाशंनिक सर्वा्िकार् का श्रन्त केवल
मेकियावली के युग में ही हुमा, जिस पर ज्ञान के पुनजंन्म का यथेष्ठं प्रभाव पड़ा या,
ओर फिर तव से नये विचारो का अ्रध्ययन क्रिया जाने लगा 1,
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