हिंदुस्तान की कहानी | Hindusthan Ki Kahani

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Hindusthan Ki Kahani by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आसमान फनेसालंडी शौयस्दडी गोज्तेज्ठा जयपुर बालों थी भोर से सेंट ॥| १ अहमदनगर का ज्रि १ बीत महीने भहुमदनगर काहला तरद्‌ अल उस्ीप्तसौ धवली बीस महीने से स्यादा हो यये कि हम सोम महां लाये गये. से बीस ग मेरी मनी र की मृतके है । हमारे यहां पहुंचने पर आसमान में छिलमिमाते ए दूज के नये चोद ने हेमा स्वायत किया । बढ़ती हुई चंद्रकला के साग उषाला परूबाङ़ा दुहो पमा धा। तवसे बराबर णये पाव का दशेन मुसं इस बाठ की याद दिसाता रहा है कि मेरी दका एक्‌ महीना भौर । यही बात मेरी पिछली चेल-पाजा में हुई थी लो दिवाली के दीपोत्सब ये ठीक बाइगासे दूज के चांद के घाव सर हुई थी। बंद शो जेल में न थे मेण संयौ चः हैं नद्धदीकी परिचय (00 मौर भी हिल-मिम गया ई । यह्‌ ही याददिमाता है इ श की जिंदयी के ल्वार-माटे की और इस बात कौ कि अंगेरे के आद दथाला लाता है. मृत्यु दर नर्जषिनि एकदूखरे के बाब मर्त कम से शसते रहते हू। सवा बदलते रइते बौर फिर मौ सदा एक-ये इस चांद को मेने मनेक अवस्पार्मों में अनेक कसार्बों के साथ देखा हू--हप्पा के समय शत के मौत बंटों में धवकि शयाया सबन दो चाती है और उस अम्ल जबकि खवा की मंद समीर बौर हुक आानेवाले दिम की प साते ईै । दिन भौर महीनों के गिमने में चांव कितना मददगार होता है क्योंकि च'द का शप भौर भकार {र दिखाई पड़ता हो घा) महीमे की तिथि बहुत कुछ टोक- डक बता देते है ! बहु एक मासान अंग है--अपर्े इसे समय-समय पर 0 शा को चरूरत है--बर छत में काम करमंगासे किशान के हो विनाँ के चाने मोर कम ऋपुर्मो के बदलमे की सुना देनेवालौ पवसे कयाया मुभौते की चंत्री है। डर के समी समाचारों से अलप इसने थहां तीन इवते बितासे । माण कौ तर का पपकं नही धा ¦ मूमाकाते भंव थीं अत शौर अखबार मह्दी सिशते थे न रेडियो का प्रभ था । जहां पर हुमरी जौजूदपी भी एक राजकौय भेद की बात समझी थाती थी जिपकी चानकारी कभी भाषा पिवन्‌ श्म मादा के जयपुर्‌




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