काव्य - सुधा | Kavya -sudha

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Kavya -sudha by श्री बिपिनबिहारी कपूर - Shri Bipin Bihari Kapoor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रामचरित-मानस वंदना न्सो ०-जो सुमिरत सिधि होड गननायक करिवर बदन | करउ श्नुग्रह सोऽ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥ मूक ॒ होड वाचाल पंगु चढ़ गिरिर गहन |, जामु कृषं सो दया द्रवड सकल कलि मल दहन ॥ नील सरोरहस्याम तरुन शरून वारिज नयन | करउ सो मभ उर घाम सदा हीर सागर सयन॥ कुद-इंदु सम 'ढेद उमा रमन करुना श्रयन। नाहि दीन पर नेह करउ ठृंपा मर्दन मयन॥ चंद गुरु पद कंन कृपासिघु नररूप रि। महामोह तम पुज जासु वचन रवि 'कर निकर ॥ सतीमोद -स८ ५२ एक चार्‌ त्रेता जुग माहीं । समु गर्‌ कुमज रिषि पाष ॥ संग सनी जगजननि भवानी । पूजे रिषि अखिलेस्वर जानी 4 रामकथा बुनिवलं वखलानी । सुनी मेस परम सुखु मानी ॥ रिषि पक्की हरिमगति सुहाई । कही संमु अधिकारी पाई [|




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