श्री जवाहर स्मारक प्रथम पुष्प | Shri Jawahar Ismarak Pratham Pusp
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand) वास्तविक शांति. '.] [दे
या आल्यन्तिकः सुख “नहीं है । जब .भूख. लगी. हो , तवः लङ
कितने प्यारे?लगते है. ।` यदि..भूख-नःऽहो तोः क्या - लड्डू
लाये जा, सकते“ ह 1 ` भूखः में; ? प्यारे ' लगने+:: वाले: वे
ही“ लड्डू “भूख, के अभाव मेःक्रितने बुरे लगतेः ?५.इस
बुरे लगने का कारण क्या हैः? यहः कि अवे भ्रूखजन्य, दुःख -
नही है जत्र मनुष्यः दुःखी होता है, तब उसे सांसारिक
पदार्थों मे * शान्ति ,मालूम+ देती ,हैं' 1: लेकिन जब. वह् +-दुःख
मिट जाता है; तब, सानारिक' पदार्थ मे झान्ति - नही मालूम
पढ़ती, बल्कि 'अशाति : जांनू, पंडने. लगती है ।. इसी '. से . तो
ज्ञानीजन कंहते है कि सासारिक पदार्थो. मे _ एकान्तिक. : या
आत्येतिकः शान्ति ' नही ~ है । , किसी. दु ख: के समय. उनमे
-शान्ति. जान पडती .है ' मगेरं वीस्तव--म संसारके किसी भी
पदार्थ में न, पहले 'सुख 'था, और नः अब् हैः।' भौतिकः पंदायं
शान्ति या. सुख के निमित्त काररण' अवश्य है ।. शान्तिक
उपादान कारणं कु अन्य हो है!!! . ', पक व,
निण्य त द गोम; प. प
मक्त करताःहै कि-हेः प्रभो.1.<यैने संसार, कै समस्त
पदार्थों को' छातृबीन' कर खोज, डाला किन्तु किसी मी पदां
. में / शान्ति, नही : मिली 1 मरत. अब मैं. तेरी, शरण... आया. हूं ।
'ौर तेरे से ,शान्ति -के; लिए :प्राथना : करता: हूं ।
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