विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कक्षा - 8 | Vigyan Avam Prodyogiki Kaksha - 8

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Vigyan Avam Prodyogiki Kaksha - 8 by के॰ एम॰ पंत - K. M. Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ -------------------------------------~--------- विज्ञन एत्‌ प्रद्योगिकौ तारा-पण्डल पृथ्वी से देखने पर तारों का कोई समूह किसी विशेष आकृति का आभास देता प्रतीत होता है। हमारे पूर्वजों ने ऐसे कई तारा-समूहों में कुछ आकृतियों की कल्पना की और उनको विशिष्ट नाम दिए। तारों के किसी ऐसे समूह को तारा-मण्डल कहते हैं। कुछ तारा-मण्डलों को तो हम आसानी से पहचान सकते हैं। केवल आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि किसी तारा-मण्डल की आकृति कैसी है और इसे रात्रि में आकाश के किस भाग में देखा जा सकता है। कुछ आसानी से पहचाने जा सकने वाले तारा-मण्डल हैं-- वृहत-सप्तर्षि या उर्सा ' मेजर, लघु-सप्तर्षि या उरसा माइनर एवम्‌ मृग या ओरायन। वृहत-सप्तर्षिं नामक तारा-मण्डल में बहुत से तारे हैं जिसमें सात सर्वाधिक चमकदार तारे हैं जो आसानी से दिखाई देते हैं। इन तारों से बना तारा-मण्ड्ल सामान्यतया वृहत-सप्तर्षि या बिग डिपर कहलाता है। बिग डिपर के सात प्रमुख तारे किसी बड़ी करछुल या प्रश्न चिह्न जैसी आकृति बनाते प्रतीतं होते हे (चित्र 1.3)। करछूल के शीर्ष भाग पर स्थित दो तारे संकेतक तारे कहलाते हैँ क्योकि इनको मिलाने वाली रेखा भ्रुव तारे कौ ओर संकेत करती है तथापि वृहत-सप्तर्षि, तारा-मण्डल के सभी तारों को देख पाना कठिन होता है। तारा-मण्डल लघु-सप्तर्षि (स्माल डिपर) में भी अधिक चमक वाले सात प्रमुख तारे हैं (चित्र 1.3)1 ध्रुव तारा लघु-सप्तर्षि (स्माल डिपर) के हैंडल के सिरे पर स्थित होता है। पृथ्वी के कि तरै ध्रुव तारा वृहल मप्तपिं न # + भै > क के चित्र 1.3 वृहत-सपर्षि एवम्‌ लघु-सप्तर्षि में तारों की सापेक्ष स्थितियाँ _. - उत्तरी गोलार्ध में इस तारा-मण्डल को प्रायः बसंत ऋतु में देखा जा सकता है। मृग या ओरायन एक अन्य तारा-मण्डल है जिसे शीत-ऋतु में देखा जा सकता है। मृग आकाश के सर्वाधिक भव्य तारा-मण्डलों में से एक है। इसमें भी सात चमकीले तारे हैं। जिनमें से चार किसी चतुर्भुज की आकृति बनाते प्रतीत होते है। इस चतुर्भुज कै एक कोने पर सबसे विशाल तारों में एक बीटलगीज़ नाम का तार स्थित है जबकि दूसरे विपरीत कोने पर रिगेल नामक अन्य चमकदार तारा स्थित है। मृग के अन्य तीन प्रमुख तारे तारा-मंडल के मध्य में एक सरल रेखा में अवस्थित हैं (चित्र 1.4)1 रात्रि के समय आकाश में इन तारा-मण्डलों को पहचानने का प्रयास कीजिए।




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