आंधी के बाद | Aandhi Ke Bad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
318
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अर्ली के बाद ड
स्थान प्राप्त है जो हिन्दुभो तथा अन्य अल्प-संस्यक, अन्य धमवि-
-लम्बियो को । पर जब प्रथम आधी का झोका आया था तो सचमुच
उसने यबनों को जड़ से झकझोर दिया था और अपने तथा अपने
परिवार की प्राणरक्षा के लिए जितने अधिक से अधिक यवन-परिवार
भाग सके थे पाकिस्तान भाग गए थे ।
भारत मे या तो कॉग्रेसी मुचलमान या दुरदर्शी राजनीतिज्ञ यवन
ही रह गए थे या फिर वे निर्धन, निल, मुसलमान जिनके पास भागने
के लिए न पैसा थान क्षमता । जिन्हें रोज-रोज कुआँ खोद्ना और
रोज-रोज पानी पीना था, वे भाग कर जाते भी कैसे ? उन्होने तो
अपनेको मरने या जीने के लिए अपने भाग्य पर, अल्ला सियाँ के नाम पर
छोड दिया था ! पर निश्वय ही जो दशा पाकिस्तान मे हिन्दुभो-सिक्लो
की थी उससे हजार गुना अच्छी हालत भारत मे बाद मे मुसलमानों
की रही ।
अनेक लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के हिंन्दुओ-सिक्खो के
कत्लेआम का बदला लेने की तीव्र भावना राष्ट्रीय-स्वय-सेवक-सघ मे
हुई । अनेक हिन्दू जो हाल ही में यवन हुए थे तथा अनेक हिन्द्र स्त्रियां
जो स्वेच्छा से या बाध्य होकर यवन हुई थी, उन धमं-परिवतित-हिन्दुओ
के प्रति हिन्दुओ को रोष भी था और वे उन्हे किसी न किसी प्रकार से
हिन्दूं-धर्म मे वापस लाने मे प्रयत्नशील थे; इच्छुक थे । जिन यवनों के
सहयोग से इन हिन्दुओ ने धर्म-परिवतंत किया था उन पर तो विशेष
रूप से भायंसमाजी तथा आर एस. एस वाले फाड़ खाए बैठे थे ।
अत ऐसे लोगो तथा उनके परिवारों के प्रति यदि भारत के कुछ राज-
नीतिक दल पीछे पड़े हो तो न यह आइचर्य की ब्लत थी भौर न इसमें
कृद अस्वाभाविकता ही थी । एक ऐसे ही परिवार के सदस्य से मेरा
सम्पंकं कराँची में हुआ ।
एक अत्य महाराष्ट्र सज्जन श्री नारायण केशब घोरपडे थे जो
वहाँ के नमक के कारखाने मे इजीनियर थे । महाराष्ट्रीय सज्जन होने
जनः
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