आंधी के बाद | Aandhi Ke Bad

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Aandhi  Ke Bad by डॉ लक्ष्मीनारायण टंडन - Dr Lakshmi Narayan Tandon

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अर्ली के बाद ड स्थान प्राप्त है जो हिन्दुभो तथा अन्य अल्प-संस्यक, अन्य धमवि- -लम्बियो को । पर जब प्रथम आधी का झोका आया था तो सचमुच उसने यबनों को जड़ से झकझोर दिया था और अपने तथा अपने परिवार की प्राणरक्षा के लिए जितने अधिक से अधिक यवन-परिवार भाग सके थे पाकिस्तान भाग गए थे । भारत मे या तो कॉग्रेसी मुचलमान या दुरदर्शी राजनीतिज्ञ यवन ही रह गए थे या फिर वे निर्धन, निल, मुसलमान जिनके पास भागने के लिए न पैसा थान क्षमता । जिन्हें रोज-रोज कुआँ खोद्ना और रोज-रोज पानी पीना था, वे भाग कर जाते भी कैसे ? उन्होने तो अपनेको मरने या जीने के लिए अपने भाग्य पर, अल्ला सियाँ के नाम पर छोड दिया था ! पर निश्वय ही जो दशा पाकिस्तान मे हिन्दुभो-सिक्लो की थी उससे हजार गुना अच्छी हालत भारत मे बाद मे मुसलमानों की रही । अनेक लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के हिंन्दुओ-सिक्खो के कत्लेआम का बदला लेने की तीव्र भावना राष्ट्रीय-स्वय-सेवक-सघ मे हुई । अनेक हिन्दू जो हाल ही में यवन हुए थे तथा अनेक हिन्द्र स्त्रियां जो स्वेच्छा से या बाध्य होकर यवन हुई थी, उन धमं-परिवतित-हिन्दुओ के प्रति हिन्दुओ को रोष भी था और वे उन्हे किसी न किसी प्रकार से हिन्दूं-धर्म मे वापस लाने मे प्रयत्नशील थे; इच्छुक थे । जिन यवनों के सहयोग से इन हिन्दुओ ने धर्म-परिवतंत किया था उन पर तो विशेष रूप से भायंसमाजी तथा आर एस. एस वाले फाड़ खाए बैठे थे । अत ऐसे लोगो तथा उनके परिवारों के प्रति यदि भारत के कुछ राज- नीतिक दल पीछे पड़े हो तो न यह आइचर्य की ब्लत थी भौर न इसमें कृद अस्वाभाविकता ही थी । एक ऐसे ही परिवार के सदस्य से मेरा सम्पंकं कराँची में हुआ । एक अत्य महाराष्ट्र सज्जन श्री नारायण केशब घोरपडे थे जो वहाँ के नमक के कारखाने मे इजीनियर थे । महाराष्ट्रीय सज्जन होने जनः




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