बन्ध्या - गर्भिणी | Bandhya-garbhini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ )
छ-एसफेद फूत की भटकटइया की जड़ ऋजुसमय तीन दिन
जल मं पीस कर सवेरे पीवे तो गभं स्थित होवे ।
५-- स्त्री को नित्य मछली का मांस या कांजी या तिल या
उडद या दही लखिल्लाग्रोतो रजो धम प्राप्त होकर बन्ध्या
दोष निचृत्ति हो जायगा ।
६--पुष्प नक्षत्र के तीन दिन में उखाड़ी हुई श्वेत करियाली
की जड़ को दो तोला चूण दूध के साथ ऋतुक्ाल में
तीन दिन बराबर पिलाने से निश्चय गे घारण होगा ।
गम के पहचानने के चिन्ह
१--किसी का तो गये रहने के दुखरे दिन ही सबेरे जी
मचलाने लगता है--मुख का रंग श्र ही हो जाता हे--देह
भारी सी जान पड़ती है-स्त्री धर्म फिर नहीं होता--
भोजन में श्ररुचि हो जाती है--पुरुष के संग से मन दृट
जाता है--श्ंगार करने को जी नहीं चाहता--उवकाई घ
उल्टी श्राने लगनी है--पेट बढ़ने लगता है और शगीर दुबला
हो जाता है श्रौर झालंस्य भौर हर समय भरा सा रहता है--
जी श्राराम करनेको चाहा करता है-नीचेके शसीरमें
सुस्ती शधिक रह्दती है--खट्टी व सौधी चीज़ें खाने को जी
बहुत चाहता है-दस्त खुल कर नहीं होता--नींद अच्छी
नही आती--स्तनौ के मुख छाटे हो जाते हैं--श्ौर सब से
चूक गर्भवती की पहिचान यह है कि थोड़े से शहद को
पानी में मिलाकर स्त्री को पिला दो थोड़ी देर पश्चात् टूड़ी
में ॐ दूदू॑ ला मालुम दो तो जान लो कि गर्भ है वरनः
नषा । न
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