उमर ख़ैयाम की रुबाइयाँ | Umar Khaaiyam Ki Rubaaiyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.43 MB
कुल पष्ठ :
75
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रघुवंशलाल गुप्त - Raghuvanshalal Gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उसर खेयाम की रुबाइयाँ जो सग्रह जितना नया है उसमे उतनी ही अधिक रुबाइयाँ सग्रहीत है। जो रुबाइयाँ उमर खैयाम के नाम से प्रकाशित हो चुकी है यदि उन सब को एकत्र किया जाय तो दो-तीन हजार तक नम्बर पहुँच जाय । परन्तु वास्तव मे ख़ेयाम की बनाई हुई रुबाइयाँ ३००-४०० से अधिक न होगी । अच्छी कविता मात्र जन-साधारण मे प्रचलित हो जाती है परन्तु लोकपरम्परा कविता को याद रखती है कवि को भूल जाती है। और सौ दो सौ वर्ष पीछे यदि कोई मनुष्य इन लोकप्रिय कविताओ का सग्रह करता है तो भिन्न भिन्न कवियो की कविताओ का पृथक्करण असम्भव हो जाता है--विशेषत यदि रुबाई की भाँति कविता का छन्द ऐसा लोकप्रिय हो कि छोटे बडे सहखो कवियों नें उसी छन्द मे एक ही विषय पर कविता की हो। कभी कभी निम्स- श्रेणी के लेखक अपनी रचनाओ का गौरव बढाने की इच्छा से जानबूझ कर उनको लोकमान्य कवियों की रचना में घुसेड देते है। कबीर विद्यापति सूरदास इत्यादि की रचनाओ के विषय मे हिन्दी-साहित्य-ससार का अनुभव भी बहुत कुछ ऐसा ही हैं। उमर खैयाम भी लोक और काल के इस अत्याचार से नहीं बचे। इनकी रुबाइयो में विशेष समिश्रण इस लिए भी हुआ है कि १३वी शताब्दी से ही इनकी रुबाइयो के गूढाथं के विषय में सतभेद चला आता श्४
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