भूगोल | Bhuugol
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
55
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२६९
दक्षिण में सराय और मिशन हाई स्कूल है । बाजार
से आध मील पश्चिम की ओर सिविल लाइन है. ।
उत्तरी सिरे पर कचहरी, तहसील आर थाना हे ।
मैदान के चारों ओर योरूपीय लोगों के बंगले हैं. ।
बेल्दार कलां बस्ती से उत्तर-पूवं की श्रोर २१ मील
दूर है । यहां दो मन्दिर और एक उजडा ठाकुरद्वारा
है । रामलीला के अवसर पर मेला लगता है ।
भारी बस्ती से ३८ मील दूर है । यहां एक बड़ा
तालाब है कहते हैं कि यह श्रीकृष्ण जी को बड़ा
प्रिय था । यहां कार्तिक पूर्णिमा को स्नान का मेला
लगता है । पास ही मन्दिर है ।
बडेपुर बंसी तहसील के टप्पा गौस में एक बड़ी
योरुपीय जागीर है । इसका क्षेत्रफल, ९५३१६ एकड़
है । उस्का से आनेवाली पक्की पड़क यहां समाप्र
होजाती है।यह स्थान नोगढ़ रेलवे स्टेशन से
७ मील और बस्ती से ५४४ मील दूर है । गोरखपुर
के कमिश्नर महाशय बड की स्मृति मे इसका
नाम बडेपुर पड़ा । १८३२ मै यह् भाग कलकत्ता
के मेकलाचन नामी एक योरुपीय को ५० वपं के
लिये दे दिया गया । फिर यह एक दुसरे योरुपीय
को बेच दिया गया। यहां दलदल आर जंगल
था। यहां लोग कम रहते थे। नील उगाने
के लिये झाज़मगढ़ आर छोटा नागपुर से किसान
बुलाये गये।
विस्कोहर पर्विमी सीमा पर बस्ती से ५० मील
दर है। पहले यह नेपाली व्यापार का केन्द्र था ।
घान, गेहेँ भी नेपाल से आता है । सूती कपड़ा
बतेन, शक्कर, तम्बाकू यहां से जाता है। यहां
बाज़ार प्रति दिन लगता है।
डोमरियागंज राप्ती के दक्षिणी किनारे पर
बस्ती से ३२ मील दूर है। गांव छोटा है। लेकिन
यहां तहसील है । पहले यहां एक छोटा किला
था । गांव में बाजार लगता है ।
दबौलिया घाघरा नदी से पांच मील ओर वस्ती
से १६ मील दूर है। रेलवे के पहले यहां घाघरा
द्वारा बड़ा व्यापार होता था । गदर में इस गांव
का मालिक (देवी बक्स सिह ) विद्रोदी दौ गया।
ˆ यह गांव जरत कर लिया गया ।
गायघाट बस्ती से १६ मील की दूरी पर घाघरां
भूगोल
से ४ मील दूर बसा है| पहले यह घाघरा के एक
दम किनारे था । नदी के हट जाने से इसका व्यापार
घट गया हे ।
गणेशपुर वस्ती से तीन मील उत्तर-पश्चिम
की ओर है । इसके दक्षिण में रबई, पूर्व मे कुवना
ओर उत्तर में मकोरा नदियां हैं। यहां दो बाज़ार
लगते हैं । यह पिंडारी जागीर का केन्द्र स्थान है ।
पहले यहां नागर गीतमों का अधिकार था । उन्होंने
यहां किला और खाई बनाई थी । १८११ में यह
उनसे ले लिया गया आर एक योरुपीय महिला
को दिया गया । वह इसका प्रबन्ध न कर सकी ।
इस्ट इण्डिया कम्पिनी ने उससे मोल लेकर अमीर खां
पिंडारी के एक साथी को मेंट में दे दिया ।
हेँसर बस्ती से ३१ मील की दूरी पर घाघरा
के व्यापार का एक केन्द्र है। गदर के समय में
यह गांव जब्त कर लिया गया आओर एक राजभक्त
ज़मींदार को दे दिया गया।
हरिया मनवर नदी वाये किनारे पर एक गांव ”
है और इसी नाम की तहसील का केन्द्र स्थान
हे । यह् बस्ती से १७ मील पश्चिम की आओर है |
बाज़ार सप्ताह में दो दिन लगता है ।
हरिहरपुर कटनेहिया नदी के बायें किनारे पर
एक बड़ा गांव है । यह बस्ती से २१ मील दक्षिण-
पूवं की ओर है । पहले यहां व्यापार अधिक होता
था। इस समय २ दिन बाज़ार लगता है। यहां
एक मिडिल स्कूल है ।
इटावा पश्चिमी सिरे पर बस्ती से ४२ मील
दूर है। यहां कई सड़कें मिलती हैं। एक छोटा
बाज़ार लगता है। ककराही घाट बुढ़ी राप्ी ओर
बानगंगा के संगम पर बस्ती से ३८ मील की दूरी
पर बसाद्ै। बंसी से नैपाल को जानेवाली सड़क
यहीं पर नदी को पार करती है। कार्तिकी पूर्णिमा
को यहां संगम स्नान का मेला होता है ।
कलवारी पहले घाघरा के किनारे पर स्थित
था । यह बस्ती से टांडा को जानेवाली पक्की सड़क
से कुछ दूर पश्चिम में हे । यहा अधिकतर कलवार
रहते द । मसाले मौर अनाज का व्यापार होता है ।
खलीलाबाद वस्ती से २२ मील पूवे में तहसील
का केन्द्र स्थान है। फैजाबाद से गोरखपुर को
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