राजनीतिक शास्त्र के सिध्धांत | Rajnetik Ka Sastar Ke Sidhant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजनीति शास्त्र की परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र 9 राजनीतिक दर्शन राजनीति शास्त्र को श्रनिवार्यं विषय-वस्तु प्रदान करता है । इस पर भी यह शब्द एक सीमित शब्द है । यह व्यापक शब्द नहीं । यह राज्य तथा राजनीति के सैद्धान्तिक पहलू से सम्बन्धित है, इनके व्यावहारिक पहलूं से नहीं । जैसाकि हेलोवेल ने कहा है कि “राजनीतिक दर्शन का सम्बन्ध राजनीतिक संस्थाश्रों से उतना नहीं है जितना कि उन विचारों एवं प्राकाक्षश्रो से है जो उन संस्थाश्रो मे पाये जाते हैं ।” राजनीतिक दर्शन में जिन सिद्धान्तों का निर्माण किया जाता है वे प्रायः काल्पनिक होते हैँ । उदाहरणतः प्लेटो कै श्रादर्श राज्य श्रौर ““दाशेनिके राजा का सिद्धान्त इस पृथ्वी पर त्रिचयमान नहीं । रूसो की “सामान्य इच्छा भी एक कल्पना है, यह व्यावहारिक नहीं । “व्यक्ति, राज्य और सरकार” का श्रध्ययन करने वाले विषय के लिए “राजनीति” शब्द उपयुक्त नहीं । इसके लिए “राजनीतिक दर्शन” शब्द भी उपयुक्त नहीं है । इसके लिए केवल राजनीति शास्त्र शब्द ही उपयुक्त है जो सैद्धान्तिक भी है श्र व्यावहारिक भी, व्यापक भी है श्रौर उचित भी । डॉ. सत्यनारायण दुवे ने लिखा है कि “इसमें सन्देह नहीं कि राजनीति शास्त्र मूलतः एक दशेन है ग्रौर इसमें वैज्ञानिकता कम है '*'हमें एक ऐसे शब्द की श्रावश्यकता है जो इस विद्या की दाशं- निकता श्रौर वैज्ञानिकता दोनों का ज्ञान करा सके श्रौर साथ में इसके व्यावहारिक पक्ष को भी प्रकट कर सके । “राजनीति शास्त्र” शब्द इन सब श्रावश्यकताओं की पूति करता है । यूरोपीय माषाग्रौं मे “शास्त्र” शब्द की व्यापकता रखने वाला शायद कोई शब्द नहीं ।”” राजनीति शास्त्र का परम्परागत दृष्टिकोण परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र परम्परागत दृष्टिकोण के श्रनुसार राजनीति शास्त्र की परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र निम्न प्रकार से है-- ः ^. परिभाषा (एन्ण्ण) राजनीति शब्द की उत्पत्ति, जो ्ंग्रेजी शब्द पांलिदिक्स' का पर्यायवाची है, श्रीक शब्द पोलिस (2018) से हुई है जिसका प्रथं है “नगर .राज्य' । इस तरह राजनीति शब्द से जिस अर्थ का ज्ञान होता है वह नगर राज्य तथा उससे सम्बन्धित जीवन, घटनाओं, क्रियाश्नों, व्यवहारों एवं समस्याश्रों का श्रध्ययन है । जिस तरह - कालान्तर में नगर राज्यों का विकास विशाल राज्यों तथा साम्राज्यों में हुआ, उसी प्रकार राजनीतिक विषय के अ्रघ्ययन मे भी विकासं हुआ । श्राधुनिक समय मे इस विषय का सम्बन्ध राज्य, सरकार, प्रशासन, व्यक्ति तथा समाज के विविध सम्बन्धो के व्यवस्थित एवं ऋ्रसबद्ध अध्ययन से है । परम्परागत दृष्टिकोण मे राजनीतिं शस्तरको प्रग्र तीनश्चर्थोमें परिभाषित किया जाता हैं-- ` के पर




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