आर्थिक विकास का सापेक्ष चित्रण | Arthik Vikas Ka Sapeksh Chitran

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Arthik Vikas Ka Sapeksh Chitran by हरिप्रताप सिंह - Haripratap Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रायिक विकास बा सापेक्ष चित्रण 1 (2) ये भरप्राप्त साधन, जिनको लेकर लगभग सभौ एकमत ह, ह प्राधुनिक रित्प-लान पूंजी, विरोप प्रकार से प्रशिक्षित कुछ लोग तथा पूंजी का इन प्रशिक्षित लोगों का श्रौर शिट्प-ज्ञान का उपयोग करने के लिए एक ठोस योजना । यदि वे प्रदान कर दिए जाएं तो प्रगति श्रवश्यम्भावी है। झाधिक विकास के लिए झ्राद् नुस्खा इसी निदान के आधारपरतैयार होता दै 1 नित्प-ज्ञान सम्बन्धी सहायता विदेशों से प्राप्त की जाती है। घरेलू बचत मे तथा घरेलू एवं विदेशी दोनों सूत्रो से पूंजी में वृद्धि करने के लिए उपाय किए जाते हैं। प्रशिक्षित होने के लिए कुछ लोग विदेशों में भेजे जाते हैं । एक पंचवर्षीय या सातवर्पीय या दसवर्षीय योजना तैयार की जाती है । यह कार्य निश्चय ही निर्दोष सिद्ध होगा, बतं विकास समस्या का निदान निर्दोप टो । यदि यह्‌ निदान ही दोपपूरणं है, तो हमारे वहृत-से प्रयत्न निरर्थक एव व्यथं सिद्ध होगे । मु यह्‌ कहते बड़ा खेद होता है कि निदान बड़ा दोपपूर्ण है और उसमें भारी सुधार कौ श्रावदयकता है। यद्‌ बात करि यह्‌ निदान अधिकाण श्न्य देशी की तुलना में भारत के लिए लगभग उप- युक्त है, भारत में भी केवल सीमित मात्रा मे हो सन्तोप प्रदान कर सकती है, वयोकि गरीवो श्रौर दरिद्रता पर विजय प्राप्त करना एक ऐसा कार्य है जो सारी मानव जाति के लिए चिन्ता मन विपय है। धाइयें झव दम कुछ व्यावहारिक मामलों के सन्दर्म में इस निदान पर विचार दरें । १




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