पश्चिमीय आचार विज्ञान | Pachimiy Aacar-vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)च
पहला श्रध्याय
विषय-प्रवेडा
श्राचार-विज्ञाव की परिभाषा तथा उसका क्षेत्र
श्राचार-विज्ञान श्रथवा भ्राचारदास्व, परिचमीय दशेन मे प्राचीन कालसे ही
एक पृथक् भ्रस्तित्व रखता है । इससे पूवं कि हम श्राचार ग्रौर विज्ञान की परिभाषा दे,
हमारे लिए यह श्रावश्यक हो जाता है कि हम इस विषय का दशन से सम्बन्ध स्पष्ट करे।
ऐसा करना इसलिए झ्रावश्यक समभा गया है, क्योकि श्राचार-विज्ञान, अन्य बिज्ञानो की
माति, एक सीमित एव विशिष्ट क्षेत्र तक परिमित श्रध्ययन नही है । इसके श्रध्ययन का
विषय, मानवीय व्यवहार तथा उसका श्रौचित्य है । दूसरे शब्दौ मे, यह मनुष्य के समस्त
सामाजिकं श्रनुभव के प्रति ग्रनेक प्रशन उठाता है ग्रौर उनका उत्तर देता ह । श्राचार-
विज्ञान हमे यह् बतलाता है कि किस प्रकार का व्यवहार सदाचार कहा जा सक्ता है
तथा किस प्रकार का दुराचार, किस कमं कोसत् तथा किसको श्रसत् स्वीकार किया
जाता है, ुभक्याहै, म्रद्युभक्याहैग्रौरयह शुभ-ग्र्युम किंस चरम लक्ष्य की श्रोर सकेत
करते है। सक्षेप मे, हम श्राचार-विज्ञान को मनुष्य के जीवन का परम लक्ष्य एव श्रादर्श का
ग्रघ्ययन मान सकते हँ । इस दुष्टिकोण से, प्राचार-विज्ञान ग्रथवा श्राचारशास्त्र निस्सदेह
जीवन-सम्बन्धी दशेन है । ।
' दर्शन शब्द का झथे, पश्चिमीय दृष्टिकोण से, बुद्धिमत्ता के प्रति प्रेम (1.0४6 04
४180070} माना गया है । श्रग्रेजी भाषा मे दशन को फिलासफी (20110507) कहा
गया है । यह शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दो, फिल (?111) तथा सोफिया (50118)
का समास है। फिल का भ्रथं प्रणय अ्रथवा प्रेम है श्र सोफिया का श्रर्थ ज्ञान की देवी एवं
ज्ञान है । भारतीय दृष्टिकोण के श्रनुसार भी हम दर्शन को यथार्थता का ज्ञान कह सकते
है । यह् शब्द दृश् धातु पर श्राघारित है, जिसका अरथें देखना एव जानना होता है । दाशै-
निक (11050) वही है, जो यथार्थता को जानता है एव जो वास्तविकता को
देखनेवाला है ! ददोन वास्तव मे विर्व क रहस्य की दृष्टि है, उसका उद्देश्य विश्व की
प्राधारभूत सत्ता का स्वरूप वतलाना श्रौर ब्रह्माड मे मानवीय जीवन के उद्देश्य की व्याख्या
करना है) दूसरे शब्दो मे, दशेन का विषय, विर्व एव ब्रह्माड का ज्ञान तथा जीवन के
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