भारत की भाषाएँ और भाषा संबंधी समस्याएँ | Bharat Ki Bhashaen Aur Bhasha Sambandhi Samasyaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
227
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १ ] भारत की भाषा-समस्याका स्वरूप
क्याहे!
भारतवष क्षेत्रफल में रूस को छोड़कर समग्र यूरोप-खण्ड
ऊ समान है । मूलतः भिन्न भिन्न प्रकार की नाना जातियों और
नाना भाषाओं के लोग इस देश में छाकर सम्मिलित हुए हैं;
श्मौर भारतवषे की जनसंख्या समग्र संसार को जनसंख्या का
पॉचवों भाग है। देश का विस्तार, अधिवासियों की संख्या
ओर उनमें मौलिक जातिगत और भाषागत पाथक्य इन सबको
ष्टि मे रखने से यह सवथा स्वाभाविक है कि भारतवर्ष में
अनेक भाष रहेगी । इसमे आश्वयं की कोई बात नहीं ।
प्राचीनकाल अर सभ्ययुग मे माषा की यह बिभिन्नता
और बहुलता देश मे समस्या के रूप मे नदीं दिखाई पडी थी ¦
जनता अपनी प्रान्तीय अथोत् स्थानीय बोलचाल को भाषा
को लेकर अपना दैनिक काम चलाती थी; और अभिज'त या
उच्च तथा शिक्षित बग के लोग, जिनके हाथों मेँ देश-खचालन
का भार था, दिन्दुराज्य में संस्कृत भाषा की सहायता से. और
मुसलमानी राज्य में फारसी की सहायता से भारत के अन्दर
श्न्तः्रादेशिक ओर भारत के बादर की दुनिया से अन्तर्राट्रीय
काम-काज चलाते थे । इसके अलावा, देश मेद से भाषा भेद
अथौत भाषा-भाषा मेँ पाथंक्य तब भी था किन्तु झाजकल
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