हिरोशिमा की छाया में | Hiroshima Kee Chhaya Mein

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५. है ई ४. ॥ 4, 1: 1 ¶ :, ५ 1 श्र # श्र मै थे. ५ भर मी ॥ श्र १५; पी है! च. षृ; ` को: भी रा ध: च ६: # ¦. ध | लि #॥ . ५ 9. शी 0 च: ५ १ 4 4 शी ४, श र, 4: ¦ मी र ५ ॥ #: ५ * हिरोशिमा को छाया में था | जी चाहता था कि सागर को तैरकर में इस होटल के श्रपने कमरे में चला जाऊँ, जहाँ मैं इतने दिनों रहा था | किनारे पर खूब चहल-पहल थी । स्टीमर, टग, बड़ी नावें ग्रौर छोटी किशितयाँ सब चलने लगी थीं। गालों की चौड़ी उभरी हुई हड्डियों के बीच पतली श्रंखोंबाले मलय ग्रौर चीनी मछुए: अपनी मोटर-बोट भगाये लिये जा रहे थे । उनके बेंत के बड़े हैठ की परछाइं पार कर उनके गले में बँघे लाल, नीले श्रौर हरे रूमाल के छोर हवा में इठलाते और वह ऊँचे स्वर से किसी गाने को तान छेड़ते, जो कभी-कभी जहाज के इच्जनों की घड़घड़ाहट को भी पार कर कानों में पड़ जाती । जेटी में ` हर किस्म की नावें खचाखच भरी थीं और सबमें हलचल-सी मची थी । हम इस गति के प्रदशन से दूर हो रहे ये, पर वह तट हमारे साथ तैरता दुच्मा, साथ चलता डुआआ मालूम हो रहा था | भेजर साहव ! हम लोगों का सब सामान ठीक से रख लिया गया है । सब जवान खुश हैं ।” मेरी कम्पनी के हवलदार मेजर गुरुदयाल- सिंह ने अपने बूट की एड़ी खट से मिलाकर सैल्यूट करते हुए. कहा | च्छा ठीक दहै ।' मैंने उत्तर दिया और उसके चेहरे को एक सिभिष गौर से देखा । उसकी खुशी को उसकी घनी दाढ़ी श्र मूछें मी नहीं छिपा सक रही थीं । उसके. बायें नथने के पास का काला मसा उभरे हुए गाल की रेखा के नीचे श्राधा छिप गया । उसकी श्राँखों की चमक पर गीली कोरों से उठता पानी फैलने लगा--उस सागर के किनारे की तरह | एक टक बिछुड़ते साहिल की ओर देखकर वह कहने लगा, “साहब, ! इस शानदार शहर से अलविदा !' हा, मगर यह खुशनुमा किनारा तो हमारे साथ ही बहा श्रा रहा हे +. भ्थोडी देर के लिए साहब | श्ट 3




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