प्राचीन कलिंग या खारवेल | Pracheen Kaling Ya Kharvel

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Pracheen Kaling Ya Kharvel by शीतलप्रसादजी - Sheetalprasadji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) पुराणो वरन दह कि खयंम्त रजा के तीन पुं, गया, उत्कल शौर विनिंताधव यथाक्रम विददार, उत्कल श्योर प्ररिच सांचंले में राज्य करते थे, इससे प्रमाणित होता है कि गयो न्नर उत्कल परस्पर सन्निकरट वती राज्य थे। गयाखुर उपा- स्यान के अनुसार गया मयासुर का मस्तक ओर जाजपुर उसका नौसिस्थल था | इससे यह भी अनुमान दोता है कि कर्लदेश गया से लेकर गोदाचरी संक व्याह्मोन थां झींद जाजंपर उसका मंध्यंभाग थी और पौराशिफ चचव केश सार यह उत्कलदेश अवश्य छदं फाल के. हिंये कंलिंग सें एथ रदा होगा } फालान्तर २ यदं राज्य कलिग रज्रा प्रमाव से उसमे संस्मिलित होकर कलिमोत्कलं नामक एक विराट राज्यम परिसितः दगया 1 परिशिष्टमे उत्कल राजाभौके प्रभाव से कंलिगं राज्य का नीम दतिदास से लोप द्ोकर समग्र देशी उत्फिल नाम से परिखितं होने लभा ओर उत्कल देश के राजा लोग 'चिंकंलिंगाधिपति” उपाधि से घपनी परिचय सुने लगे। ` _ ` ` ः यह उत्केल या कॉलिंग राज्य उंद्र में गंगा नदी छोर गयां से प्रारम्भ होकर दक्तिणं म गोदावरी नदौ तकं विस्त धां । इसके पूर्वमे 'वंगाल सायर श्चोर परिचिम म अस्म देच ( महाराष्ट्र साबीप्रदेंश ) मेखल - पदेत ` प्रणी, अमरक्टं के ` एत, गोडवानारास्य श्चीर मेखल प्रदेश ( मध्यप्रदेशीन्तरात सिर गुज्ञा- यश्चपुर, उदयदुर प्रभुति ) ये, सुदं मध्यभ्रदेष्तस्य




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