श्री प्रकरण माला | Shri Prakaran Mala (1902)ac 6601

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Shri Prakaran Mala (1902)ac 6601 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वै ५ पाणाधजो णिपमाणं।जेसिं जं अनवि तं च णिमो॥१६॥ एक श्रंगुलने भ्रसंख्यातमे जागे । शरीर एकेदि सर्वं सुह्म तथा बादर जीवोने होय छगुल्लच्मसंख मागो । सरीरमेगिंदियाण सबेसिं ॥ जोजन एकडजार भघीक। एट लुं वीशेष > प्रत्येक वनस्पतीनुं ॥२३॥ जोयणसहस्सम दियं । नवरं पत्तेयरुख्ाणां ॥ १३ ॥ जोजन त्रणज गाचनुं। एक जोजननुं समुचय ए अनुक्रमे जाणवु बारस जोय तित्रे-व गाज जोच्मणं च्अणुकमसो। बेरिद ते शंखादिकनुं तेरिंडी ते कानखजुरादिकनुं । चोरिदी ते नमरादिकनुं देदनुं छंचपणु ॥ २०५॥ बेटदिय तें दिय । चखरि।दय देह सच्चतं ॥१९०॥ वधारणी धनुष पांचसेन प्रमाणानारक) जीव सातमीप्रस्वीभ्रवेनुं॥ धणु सयपंच पमाणा । नर्या सत्तमा पुढवीए ॥ ते थक) अ्रमधां ्रमघां धनुषनुं । जाणजो जावत्‌ रत्नप्र्ना सुधी प्रथम नरके धनुष ७।॥ भ्रंगुल ६ ॥ २९८ ॥ तत्तो त् धृणा । नेच्छा रयणाप्पहा जाव ॥ १४८ ॥ एकदजारनुं मान। मनन ठर रिसपंनु ते पण गजंजनुं होय॥ जोयण सहस्स माणा । मन्वा ठरगा य गप्रया हुंति ॥ घनुष बेर्ध] नव सुधी पङीजीवोनुं गर्चजनुं । जाये चालेनारनुं || बे माथी नव गानु शारीर गर्जनं ॥३६०॥ | धणुह पहृतं परः) । जुयचार) गाय पहृतं ॥ ३० ॥ आकाराचारीनुं बे घनुषथी नव धनुषनुं दारीर ससुिमनुं । साप | चरपरिनुं तथा सुजाचारीनुं बे जोजन्थं। नव जोजननु ससुर्टिमनुं।॥ खयरा धणुह पहुत्तं । खरा सुगा य जोयणपठुतं ॥




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