श्री प्रकरण माला | Shri Prakaran Mala (1902)ac 6601
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
445
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वै ५
पाणाधजो णिपमाणं।जेसिं जं अनवि तं च णिमो॥१६॥
एक श्रंगुलने भ्रसंख्यातमे जागे । शरीर एकेदि सर्वं सुह्म
तथा बादर जीवोने होय
छगुल्लच्मसंख मागो । सरीरमेगिंदियाण सबेसिं ॥
जोजन एकडजार भघीक। एट लुं वीशेष > प्रत्येक वनस्पतीनुं ॥२३॥
जोयणसहस्सम दियं । नवरं पत्तेयरुख्ाणां ॥ १३ ॥
जोजन त्रणज गाचनुं। एक जोजननुं समुचय ए अनुक्रमे जाणवु
बारस जोय तित्रे-व गाज जोच्मणं च्अणुकमसो।
बेरिद ते शंखादिकनुं तेरिंडी ते कानखजुरादिकनुं । चोरिदी ते
नमरादिकनुं देदनुं छंचपणु ॥ २०५॥
बेटदिय तें दिय । चखरि।दय देह सच्चतं ॥१९०॥
वधारणी धनुष पांचसेन प्रमाणानारक) जीव सातमीप्रस्वीभ्रवेनुं॥
धणु सयपंच पमाणा । नर्या सत्तमा पुढवीए ॥
ते थक) अ्रमधां ्रमघां धनुषनुं । जाणजो जावत् रत्नप्र्ना सुधी
प्रथम नरके धनुष ७।॥ भ्रंगुल ६ ॥ २९८ ॥
तत्तो त् धृणा । नेच्छा रयणाप्पहा जाव ॥ १४८ ॥
एकदजारनुं मान। मनन ठर रिसपंनु ते पण गजंजनुं होय॥
जोयण सहस्स माणा । मन्वा ठरगा य गप्रया हुंति ॥
घनुष बेर्ध] नव सुधी पङीजीवोनुं गर्चजनुं । जाये चालेनारनुं ||
बे माथी नव गानु शारीर गर्जनं ॥३६०॥ |
धणुह पहृतं परः) । जुयचार) गाय पहृतं ॥ ३० ॥
आकाराचारीनुं बे घनुषथी नव धनुषनुं दारीर ससुिमनुं । साप |
चरपरिनुं तथा सुजाचारीनुं बे जोजन्थं। नव जोजननु ससुर्टिमनुं।॥
खयरा धणुह पहुत्तं । खरा सुगा य जोयणपठुतं ॥
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