भारत में ग्रामीण विकास | Bharat Main Gramin Vikas

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Bharat Main Gramin Vikas by इकबाल सिंह - Ikbal Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारतीय कृषि का भौतिक परिपाश्व 9 (3) क्षारीय मिट्ठी--उत्तरी भारतके लगभग 68.000 वग किलोमीटर क्षेत्र में यह मिट्टी पाई जाती है । बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र में यह मिट्टी मिलती है । अनुमानित रूप से 12,503 वर्ग किलोमीटर भूमि उत्तर प्रदेश और 12,000 बर्ग किलोमीटर भूमि पंजाब में ऊसर बन चुकी है। यह मिट्टी रेतीली और दोमट है । क्षारीय मिट्टी में नाइट्रोजन और कंल्शियम की कमी पाई जाती है। यह मिट्टी अत्यंत अभेद्य है और जल को सोखने की बहुत कम शक्ति रखती है। इस मिट्टी से अनेक प्रकार की फसलें जैसे चावल, गेहूँ, कपास, केला, बरसीम, नारियल और तम्बाकू उगाया जाता है । (4) पास और दलदली मिट्टी--यह मिट्टी लगभग 150 वर्ग किलोमीटर पर पाई जाती है । आईं भू-शागों में जैव पदार्थों की बड़ी मात्रा में तह, जम जाने से यह मिट्टी वनी है । वर्पा ऋतु में यह मिट्टी जल से डूबी रहती है । इस मिट्टी का रंग काला होता है । यह भारी भौर एसिड युक्त होती है और इसमें 10 से 40 प्रतिशत जैव तल विद्यमान रहते हैं। इस मिट्टी में धान की खेती होती है । दलदली मिट्टी उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, बिहार के केन्द्रीय भाग, उत्तर प्रदेश में अल- मोडा जिना और तमिलनाडु के दक्षिणी-पुर्वी तट में पाई जाती दै। लगभग 18 प्रतिशत जैव पदार्थ इस मिट्टी में मिलते हैं । (5) काली सिद्ठी--यहू मिटटी लगभग 5,46,000 वर्ग किलोमीटर भूमि में पाई जाती है । यह आन्क्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलसाड़, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में मिलती है । इस मिट्टी में लौह, कंल्शियम और काबनिट्स के तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं । परन्तु फासफोरस, नाइट्रोजन और जैव पदाथं कम मानत्ना में पाए जाते हैं । चीका और गह्हरे रंग वाली इस मिटटी में कपास, गेहूँ, मिच॑ं, अलसी, ज्वार, तम्बाकू और कूसुम्भ की खेती होती है । (6) लाल मिद्रौ--यह्‌ मिटटी लगभग 90,000 वं किलोमीटर भरुमि म फली हुई है । तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गोआ, मध्य प्रदेश, छोटा नागपुर और उड़ीसा में यहू पाई जाती है। विहारके संथाल परगना, पश्चिमी बंगाल के बॉक्रा जिले. के बीरभूमि गाँव में, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, काँसी , बाँदा, हमीरपुर और त्रिपुरा में भी यहू मिट्टी फैली हुई है । लाल सिटटी की गहराई, रंग और उवरापन इन स्थानों में भिर्त-भिस्त हैं। सिचाई की सुविधा प्राप्त होने पर इस मिट्टी से अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है । (7) लैटराइट मिट्टी -- लगभग 2,48,000 यर्ग किलोमीटर में यह मिटटी फली हुई है। मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और असम के कुछ भाग में यहू




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