नटनागर विनोद | Natnagar Vinod

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Natnagar Vinod by कुँवर रत्न सिंह - Kunwar Ratna Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नटनागरविनोद . २१ ९ “ =^ न ~ ३७ ७ केपि ५ . कर्त्त जमुनकिसंगनमकुंनकेविहंगन मेः व्रंदावनव्रंदनमेअंगएकन्हैरल्यो^मधवन्पं जनमेमधुकरगुंजनमेःमुग्धनकेमनमेअनोप ` ओषपदेरद्यो ॥ नटनागरअंगनमेंभवनडउमंगन ` :रेगसबरेगनमेरंगरूपटेरल्यो ॥ तीजकीतरं ` गनमेनवरुकेअंगनमेःसोसनीसरगनमेस्या कि मरंगछठेरत्थो ॥ ४५ ॥ हारउरडारवारवारकों सैँवांरकर:मारचक्रजेसी नथथारमे परीरही ॥ लकटीमकटपटपाटकोझटकपरो:केंडछकटक अँपअप्वेअरीरही ॥ सघरसंवारीसारीडार . दी बिहारीदेष:डरीनॉपरीनॉँचोकच क्रितपरीर ही ॥ नागरघरनदेषिघरनिविसरिगएःअध रधरनतेडधरनधरीरही ॥ ४६ ॥




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