आकाशवाणी काव्य संगम (१) | Akashwani Kavya Sangam (i)
लेखक :
मैथिलीशरण गुप्त - Maithili Sharan Gupt,
रामधारी सिंह 'दिनकर' - Ramdhari Singh Dinkar,
श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant
रामधारी सिंह 'दिनकर' - Ramdhari Singh Dinkar,
श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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मैथिलीशरण गुप्त - Maithili Sharan Gupt
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रामधारी सिंह 'दिनकर' - Ramdhari Singh Dinkar
रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया ग
श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारत सदाय ब्राद्िन स्वाधीन भ्राजिग्रो स्वाधोन आमि ।
पयत्रिश कोटि भारतव'सीये विर्व थाकिब जिनि ।
युग अवतार श्रीरामचन्द्र कृष्ण बुद्ध शाकरर
जनमदायिनी भारत्तवर्ष ज्ञानदात्री मानवर ।
भारतर सजीवनी प्रति धूलिकणार माजत,
आछे लेखा महत्वर पुण्य लिपि-बुरजी पात्तत
श्रनन्त विज्ञान ज्ञान महानता महिमा विकाश
अमर श्रात्मार ररिम प्रज्ञालोके विङ्व परकाडा ।
सा्राज्यर सघातत शान्तिहीन राडली पृथिवी ।
हिसाद्रष लोकक्षध् पपे म्लान युगर सुरभि ।
स्तम्भित जीवन धारा थमकिल जीवनर गति,
साम्राज्य पीडित श्रात्मा जनगणे मागिलं मृकुति ।
कपिल उत्तराखण्ड तथागते दिले शान्तिवाणी,
ज।वप्रेम ग्रहिसार महाधम्पं पेचङील' दानि ।
सास्राज्य उत्सर्गी दिले मानवर कल्याण ब्रतत,
सत्यप्रेम श्रहिसार व्यागमय जीवन पथत
शिकाले महान मन्त्र मारतत नव जीवनर,
बिलाले भ्रातृत्व प्रीति विद्व म्री मरु मरतर ।
सेड मन्त्रे भारत जागिल, महात्मार महिमा प्रकादि
विश्व चमकिल देखि भारतर अ्रपुन्बं सन्यासी,
महात्मार ध्यान स्वगे प्रजातन्त्र भारतवष॑र
मानृहे रचिब युग भारतर नव विधानर ।
मक्त भारतर प्रजा मुक्त वायु आकाश मण्डल,
प्रजातन्त्र उचवर बरघिछे ्रारिष.मगल ।
हियाइ हियाइ फूल प्रेरणार सुखर कमल ।
बाधाहीन जनस्रोत श्रमियान उल्लास मुखर,
स्वाधीन जीवन गति शक्तिमान भारत सन्तान
नव जीवनत जागे कम्ममय विशाल श्राह्(न ।
{न बॉियेजि उाअविन न-नयय कला नपयप्यायना कि
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