सर्वश्रेष्ठ रूसी और सोवियत पुस्तकमाला इकतालीसवाँ | Sarvashreshth Rusi Aur Soviyat Pustakamala Ikatalisavan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बोरिस लाव्रेन्योव - Boris Lavrenyov
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सयोग की वात कि एक चेचवर सप्लाईमन से कमिसार येव्स्युकोव को
गुलाबी जाकेट झौर गुलाबी ही विरजस दे दी।
खद येच्स्युकौव का चेहरा भी गुलाबी था श्रौर उस पर वादामी
वुदक्िा थी। रही सिर की वात तो वहा वालो कै वजाय भुधराले रोये
थे।
हम यह वात भी जोड देना चाहते है कि कद उसका नाटा था श्रौर
शरीर भारी भरकम , बिल्कुल अ्रडे कौ शक्ल जंसा। अवे यह वल्पना करना
कठिन नही होमा कि गुलाबी जाकेट ओर विरजसं पहन हए वहं चलता
फिरता ईस्टर का रगीन श्रडा प्रतीत होता था।
मगर ईस्टर के भ्रडे के समान दिखाई देनेवाले येन्स्युकोव बोन तो
इस्टर मे भ्रास्था थी श्रौर न ईसा मे विश्वास!
उसे विश्वास था सोवियत मे , इटरनेशनल , चेका * प्रौर उस काले
सग दी भारी पिस्तौल पर, जिसे वहं श्रपनी मज़बूत श्रौर खुरदरी उगलिया
मे दवाये रहता धा ।
येव्स्युकोव के साथ तलवारा के जानलेवा चन से जो तेईस फौजी
भाग निकले थे वे लाल फौज के साधारण फौजिया जसे फौजी ये , विल्कुल
मामूली लोग ।
इन्ही के साथ थी वह श्रसाधारण लडकी मर्यूत्वा ।
मयूत्का एकदम यतीम थी। वह मदयुप्नो की एकं छोटीसी वस्ती की
रहृनेवाली धी । यहं वस्ती अस्त्रान बे निकट वोत्गा के चौडे ल्या मे
स्थित थी श्रौर ऊचे-ऊचे श्रौर घने सरकडो के बीच छिपी हुई थी।
सात साल वी उम्र से उनीस साल वी होने तक उसका अधिकतर
समय एक वेच पर वैठे-वैठे वीता था। इस वेच पर मछलिया की
श्रन्तडियो वे चिवने धब्बे पड़े हुए थे। वह कनवास का सख्त पततलून पहने
हुए इस बेंच पर वठी-बैठी हेरिग मछलिया के रुपहले चिकने पेट चीरती
रहती थी ।
जब यह घोषणा हुई कि सभी शहरों श्रौर गावां मे लाल गाड भर्ती
किये जा रहे है तो मयूत्का ने श्रचानक अपनी छुरी बेच मे घोपी, उरी
^ चेका ~ कान्ति विरोधिया ओर ताड एड करनेवाला का सामना
करने के लिये १६१८ म नियुक्त किया गया असाधारण भ्रायोगं।- सण
पथ
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