परिव्राजक | Parivrajak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्या वणन करता हआ पिर कया चक रहा हूं । देखो पहले
दं। तो मैन कह रखा है, मेरें दिए यह सब गेर-मुमकिन है; लेकिन
अगर दरदाइत वार सको तो फिर कोशिश कर सकता हूँ ।
अपने आदमियों में एक रूप रहता है । बैसा और कहीं भी
क एतिद्ांसिक इर्यिट के मत से लालवेगियों ( झाडदार-मेह्तर-
भम्प्रदाय-दिशेष ) का उपार्प अदिपुष्प या युलदेवता लालवेग और
उत्तर पदिचम का. लाबगुरु ( रास भरण्य किरात) अभिन्न है ।
बाराणसीबाली लालवेगियों के मत से पीर जदर दी ( चिदिनि यासाधु
ैयद जदर पर छोडेनग दे
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