रामायण में राजनीति | Ramayan Me Rajniti

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Book Image : रामायण में राजनीति  - Ramayan Me Rajniti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राम-वनवास १ मादइघातक समसाकर मेरा परिस्याग फर देंगे, तो मैं झाज़ कैफेयी को जीवित न ललोदता । कैकेयो श्चपनी सरलता, श्रदूरदरित-- या मूर्व॑ता--फे कारण यह्‌ .बात पहले न सोच सकी । भरत की माता होने पर भी वह भरत के स्वभाव की भीतरी तद से परि- चित्र न हो सकी । जिन भरत के रा््याभिपेक फे लिये उसने संसार को झपना विरोधो यमाया शरोर वेधन्य तक पनाया, श्रालिर बह भी उसके न हए 1 यदि वह पते से एेसा सममः सफ़तो, तो फद्‌पि यद कुत्सित दठ न करती 1 भय से बाहे देव. साओं की साया समफिए यां राजनीतिक दृष्टि से विचार करते हुए कैकेयी की जन्मभूमि का प्रभाव मानिए। बात एक ही है। (षर कैकेयी के पिता भो इन बातों से बेख़बर नहीं थे । बहः दशरथ की कमज़ोरी पहचानते थे । यद्‌ जानते ये कि कामी' होने फे कारण दी उन्होंने कैकेयी के साथ विवाह करने के लिये यद्‌ कठिन प्रतिज्ञा ( केकेयी-पुत्र के राज्याधिकार की ») की है । उनका इस प्रतिज्ञा से विचलित हो जान्पू कुछ भी कठिन नही है । वद यद्‌ भी सममतेे कि यदि वदी रानी शा पुतन ज्यष्ठ हुआ, तो घर्मतः राज्य का श्चधिकारौ वदी होगा} वह कैकेयी की अपरिपक बुद्धि श्चोप उसके छल्ददपन से भी परिः चित ये। उन्दे इसके युलावे में पड जानि की पूरी राशा थी, इसीलिये उन्होंने एक दूरदर्शिता और भी फी थी । मन्यरा नाम की प्रधान दासी को; जो राजनीति में निपुश और दुनिया- दारी के माजलों में पूरी चरट, जहाँदीदा शर समानेसाज़ थी;




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