श्री जलवंश वर्दी | Shri Jalavansh Vardhi

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Shri Jalavansh Vardhi by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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^ सौ ‡ ¦ ५ | { > ¦ |) ¦ ¦ { १ १ ‡ | | १ 2 ६ 8 स्वायैपरायण विचारो सांभिरी मकवाणा सारगदेवे शादनो जानिस्वभावर तथा पोतानो ( रानपूतोनो ) उत्कपे जणाववा मांड्यो, या कहताँही पातसाहरी सेन सूंवजाररो तीर सकुवाणरी छातीरे पार पटो 1 सो रोह छागतौही सारंगदेवरा हायरो चन्दहासरों प्रहार छूटो ॥ तिणसूँ गज़नवीरा हु जावहै जमरों मस्तक चक्र होय पडियो ॥ इण रीतिकेही जवनारा प्राण देहरूपकारा सदनरा वंदोवान सहाबुदीनरी समाप्ते सारंगदेव टूकट्ूक होय झडियो. वठाभास्कर द्वितीय माग पृष्ट १३६५ मकवाणा साररगदेवे शानो जातिस्वभाव वोटवानी शरुआत करी त्यांज शहाबुद्दीनना इसाराथी वजीर तीर तेनी छातीमां आरपार चास्थुं गयु. ए तीर कागतांज सारगदेवना हाथथी तल्वारनो प्रहार छ्व्यो अने ए प्रहारे शाहना वजीर हुनावदेनम॑नु॑ मस्तक चाकना पिडानी माफक उडावी अनेक यवनोनां पराण क जे देहरूपी कारागारना र्वधीवान हतां तेने छोडार्व्या, ए रीते मक्वाणा सार॑गदेव शदाबुद्धीननी सभामां टके टूकडा थया त्यांसरुधी लड्या, एन अरसामांक्ञाला सिददेव सर्वथी वंराभार्शर द्वितीय भागं पृष्ट १३६९ मां नीचे मुजव छप्पय ठे, + ५ ७, (4 [कप ऋ, _ ४८ [जण रारे बठजोर, जग आहाणि जाडेचा, पुहुषि कच्छ १ पंचाठ २ गंजिरीधीं षटु प्व अधिप मीरे अग्र, विजय कीधा कडवा, सड सात्रव घण मेदि, किया धडपार कास. उण सिंहदेव रण अग्रणी, ले व्ठ साथ चउत्थछव; गरदाय सिविर दीघो गरट, जासिक पण लीधो सजव, जे श्राखाए वग्जोरथी जाडेजाओ साथे जंग करी दावपेचथी कच्छ अने पंचाठनी पृथ्वी कवने करी अने पोताना अधिपति सोलेकी भीम आगल रही अनेक वखत विजय मेठव्यो तथा भडपणे घणा शझडुओ साथे भेटी कटारथी धडने जुदां कर्यो, ए रणमां अग्रणी रहेनार ( सेनापति ) सिंहदेव ६०००० ना सैन्य साये भोगाराय भीमना डेरानी आजुवाजु रात्रीने वखते पहेरो भरता हता अने युद वखते पण तेओए घा पोताना अंगपर ज्ञीव्या हता» आज समयमा भाकाभीमना काका सारंगदेवना पु्ोए राणंगत्राखाने मारी भीम साये न म ण ज भ ण जन जीन 0 न जन ~ न न ७ न लक नल भजि न | (10 नी जानशााौजभशाश शा ० न अप सिर जीव 9 १9 न 4 ७ ^ वि 0 0 अनजान पद प क पि जि किक मि 0 ५७ 00 ७ 9.4० [७ ०८० 0/0 ०,/०५००० ७१११० ०७११७ (५/० निज पिनि ७060 पिज निज की किस निदनियातिस हपिनिक ० चीज निजता णि पि ०/७ ११०२००५ 0) | ६




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