अज्ञात चितवन | Agyaat Chitvan

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Agyaat Chitvan by डॉ. सुरेन्द्र सिंह - Dr. Surendra Singh Chauhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक दृष्टि मी व्स्मि सपना से सम्पुकष होता है कह इस प्रयाग थे रदका हैं कि. बरह्मापड का गर कण प्रथ्यवक्न हो जाय। विवव कल्याण कर सावना ऐसे चेलन व्यवित की आंतरिव ऊर्जा गोला है और उन ऐसे असग्नप से लगने वाले कार्यो को अजाम देता है जो समा यो परिकर्षन के सधे कोण पर पहुंचा देसे हैं। ऐसे व्यक्ति आसपास से बालाचरण से उप्रेलित होते हैं, विधार उनके मम से पड़ते हैं सौर विशिसन साध्ससों से जनसामान्य के समक्ष उदघानित होते हैं। दाकटर सुन्दर मिए चाडिन पेशे में चिकित्सक हैं, मूदेसरकेर्क झेप में मसीहा दी कप मे सम्मानित हैं और लगभग पयान वार्गधारियों, शाकटरों काले एक बडे अस्पतान का संचालन वरेसे हैं। नमन आधिया व्यस्त िखित्मक से यह उम्मीद नहीं की फ सकती कि बह किसी अन्य कार्य वो लिए एक धरे का भी समय निवतल पायेगा परंतु अनात चितबन को पढने से ऐसा लगता है कि रघगाकार पुरे वक्‍त केगल कविताओं में जीता हैं। डाक्टर चौहान की कई पुस्तक मैंने पढ़ी हैं और खुद से कई बार सवाल किया है कि एक न्पक्तिति इतनी स्वूबसूरत कविताएं इतनी अधिक मात्रा में कैसे लिख सकता है। आध्यात्मिक और दार्शनिक विचारो से परिपूर्ण ये कविताएं न केवल मानस को उद्वेलित करती हैं बल्कि समाधान के रास्ते भी दिखाती हैं। अक्सर अध्यात्म की बातें करने वाले लोग भौतिकयारी दुनिया को नजर अंदाज़ करते हैं। जगत मिश्या कहकर जायद पलायन का रास्ता दिखाते हैं। परंतु डाक्टर चौहान की रचनाएं सामाजिक विषसतताओं, भ्रष्टाचार और शोषण के खिलफ दर 14




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