1297 स्वदेशी और ग्रामोद्योग 1939 | 1297 Swadeshi Aur Gramodhog 1939
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.93 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक नई व्याख्या ७
“इस तरह हम देखेंगे कि मेरे सुमाव के मुताबिक़ कार्यक्रम बदुछ
देने से बड़े व्यवसायों के हितों को किसी तरह का धक्का नहीं पहुँचेगा ।
में तो सिर्फ़ इतना ही कहना चाहता हूँ कि आाप राष्ट्रीय कार्यक्तागण
अपने कार्यक्रम को छोटे धन्धों तक दी सीमित रक्खें और बड़े न्यव-
सायों को जैसे वे करते चले आरहे है; अपनी मदद आप करने दें ।
| मेरी धारणा है कि छोटे घन्धे बड़े धन्धों की जगह नहीं ढे सकेगे;
बल्कि उनको मदद ही पहुँचावेंगेह मेरी तो अकाँक्षा है कि में बढ़े-बढ़े
व्यवसायों के स्वामियों तक से कहूँ कि वे इस काम में दिचस्पी छें,
क्योंकि यदद शुद्ध मानवहित का कार्य है। मैं तो मिठ-माछिकों का भी
हितचितक हूँ और वे भी इस बात को मानेंगे क्योंकि में कह रहा हूँ
कि जब में उन्हे मदद दे सकता था; मेंने उन्हें मदद दी है ।”
जुलाई १९३४ ।
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