1297 स्वदेशी और ग्रामोद्योग 1939 | 1297 Swadeshi Aur Gramodhog 1939

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1297 Swadeshi Aur Gramodhog  1939 by महात्मा गांधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक नई व्याख्या ७ “इस तरह हम देखेंगे कि मेरे सुमाव के मुताबिक़ कार्यक्रम बदुछ देने से बड़े व्यवसायों के हितों को किसी तरह का धक्का नहीं पहुँचेगा । में तो सिर्फ़ इतना ही कहना चाहता हूँ कि आाप राष्ट्रीय कार्यक्तागण अपने कार्यक्रम को छोटे धन्धों तक दी सीमित रक्खें और बड़े न्यव- सायों को जैसे वे करते चले आरहे है; अपनी मदद आप करने दें । | मेरी धारणा है कि छोटे घन्धे बड़े धन्धों की जगह नहीं ढे सकेगे; बल्कि उनको मदद ही पहुँचावेंगेह मेरी तो अकाँक्षा है कि में बढ़े-बढ़े व्यवसायों के स्वामियों तक से कहूँ कि वे इस काम में दिचस्पी छें, क्योंकि यदद शुद्ध मानवहित का कार्य है। मैं तो मिठ-माछिकों का भी हितचितक हूँ और वे भी इस बात को मानेंगे क्योंकि में कह रहा हूँ कि जब में उन्हे मदद दे सकता था; मेंने उन्हें मदद दी है ।” जुलाई १९३४ ।




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