साहित्यिकों के पत्र | Sahityikon Ke Patr
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साहित्यिको के पत्र ११
इस समारोह षा उद्घाटन महि प० मदन मोहन मालवीय ने किया
था! वीच में प्राचार्य द्विवेदी श्रौर उन के उभय पा्इवों मे उपय्युक्त दो
वन्दनीय विभूत्तियों फे दक्षन जिन्हें मिले, उन सोभाग्यशालियों में इन
पक्तियों फा लंखक भी है ।
डा० गगानाय शा फृतज्ता शरीर विनय फे भ्रवतार थे । “मुझे हिन्दी
की शोर श्राचार्य द्विवेदौजी ने ही प्रत्त किया या--कहते हुए जव हमारे
चुद्ध-दविप्ठ श्राचार्य द्विवेदी फे पाँव छूने के लिए झुफे श्रौर ्राचायं द्विवेदी
ने उन के हाय वीच में ही पफड फर जिस रूप में प्रतिविनय प्रकट को,
देखने फौ चीज थी |!
इन्हीं डां ° गंगानाय क्षा फे सुयोग्य पुत्र हुए डॉ० झमरनाय झा । डॉ०
श्रमरनाय क्षा एक मुत तक प्रयाग-विष्वविद्यालय मं श्रग्रूजो-विभाग फे
भ्रध्यक्ष रह् ! फिर इसी विश्वविद्यालय के तीन वार फुलपति निर्वाचित
हुए। प्राप के फार्य-फाल मे इस विश्वविद्यालय ने कितनी उन्नति कौ,
सव जानते ह् । इस फे प्रनन्तर फाहौ-हिन्दर विश्वविद्यालय के भी श्राप
फुलपत्ति रहे । उत्तर प्रदेशा त्या विहार फे जनसेवा-श्रायोग फे श्राप
भ्रच्यल भी रहे ।
रहन-सहन पहले श्रंप्रेजी ठंग फा था। पता न था कि इस ऊपरी
ध्रम्रजौ वातावरण मे भारतीय सस्कृति श्रौर राप्ट्रीयता इतनी भरी है !
जव हिन्दी के मुकावले “हिन्दुस्तानी (उद्ट--हिन्दी) को भारत फौ
'राष्ट्रभापा वनाने फा थ्रान्दोलन जोर से चला, तो प्रयाग-विश्दविद्यालय के
टां० ताराचन्द ने खुल फर इस का समयन फिया--सेसो फा ताता व्व
दिया! सभौ विश्वविदयालयो पर श्रौर शिक्षित जनो पर श्रसर
पड़ा--सोग दुलमुलानें लगे ! टॉ० तारादन्द फा प्रभाव हो एऐंसा था ।
इस स्मय उं० धमरनाय प्ता फो वहु चीज सामने ध्राई, जो रिवय-रूप में
उन्हें श्रपने नहान् पिता से प्राप्त हुई थो । इस समय डॉ० श्रमरनाय झा
ने फलम उठाई श्रीर श्रपने श्रोजस्वी लेंसो से डॉ० ताराचन्द फो चित
फर दिया ! हिन्दुस्तानी फे नहते पर हिन्दी फा यह् दहला एसा पडा
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