सिद्धार्थ | Siddharth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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¦
५ मनुज इन्द, समी सम्दरै, उर,
जग पड़, समक्ष, मनमे गुने,
भुवन-रक्षक, तारक विके,
प्रकट बुद्ध तथागत हो रहे । ”
तदुपरान्न महान प्रशान्तिका
विशद राश्य हुआ नम-भूमिपे,.
ककुम-गह्डरसे बह घोषणा
निकल लीन हुई नम-शून्यमें ।
घट गई घटना वह सद ही,
त्वरित ही नभ-दर्य हुआ वही,
सघन घोर घटा फिर आ घिरी,
तम प्रगाढ़ इुआ फिर शीघ्र ही ।
जग पढ़े जन-यूथ प्रभातमें,
नत्र-समृद्धिमयी घरणी लसी,
घटित सो घटना गत रात्रिकी
निपट खप्रमयी सव्र हो गई ।
अकथनीय, अरौकिकतामयी,
गुरु-रहस्य-युता उदया दिशा,
सहित भाग्यवती युवती उषा
मुदित रागवती अब्र हो गई |
उदय.भूषतकरे सित श्रंगपै
मुकुट कचनका अति रम्य था;
कनक-कुंडल-से परिवेशभें
निहित थी अति-मंजुल दिव्यता ।'
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