व्याकरण की उपकमनिका | Vayakarn Ki Upakamnika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह -Babu Durgashankar prasad singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){ ६ )
केस्थानस हेता घथा, महान् थः, मदा्छधः ; रल्
जाहि, राजस््राखह; भवान् जोवतु, भवच्लौवतु;, खान् मद्रः,
छद्यव्मङ्गरः ; वौरमन् भानत्कारः, वौोरमच्छनत्कारः ; गच्छ्न् भटिति,
गच्छ्ञ्छटिति ।
४८1 यदि पर के श्न्त के त थवा द् परे तालव्य श्र हदे ती
त और द स्थान सें च और थ के जगह पर द्ोता डे । यथा,
जगत शरण्यम्, जगच्छरण्यम् , मचत् भरकटम्, मदच्छकटम् , तद
श्ररौरम्, तच्छसैरम् ; एतद् शकाब्टौयम् एतच्छकाब्दौयम् ।
४८ ¡ यद्धि पद के अन्त के नकार के परे तालव्य णकारद्ोवे तो
न के स्थान में ज श्रौर श के स्थान में छ पता है । धया, मान
शब्द, मदाज्कव्दः ; घावनू शश:, घावष्कश: ; निन्टन् शठः, निन्ट्ब्दठः |
५० । यदि पद के गन्त के त अथवा द के पर इ पोवे तो त के
स्थान में द और *ह के स्थान में ध होता ईहै । चथा, खत् इतः,
उद्धतः; उत् रणम्, उद्धरणम् ;, मत सनम, मचद्सनम् ; तत्
चितमु, तडितम् ; तत् हेयम्, ते यम् ; बिपट् हेतुः, विषद्ेतुः ।
पूग । यदि च अथवा ज के परे दन्त्य न डोवे तो न के स्थान में
ज षहोता है । यथा, याच ना, याचेजा ; यज नः, यन्नः ; खल् नाते,
सन्ञाते ; जज निपि, जन्िपि ; लज निध्वे, जनिष्वे ; जज *ने, जद ;
राज़ ना, राज्ञा., राज नी, राजी ; ज़ और ज ये दोनों वर्ण जव
संयुक्त होते हैं तब ज्ञ ऐसा वण लिखा जाता है और न्न मौ बोखा
जाता है ।
भूर। यदि त और द के परे ट और ठ दोवे; तो त और दे के
स्थान में ट द्ोता है | यथा, उत् टलति, उदलति , महत टडनम्,
मदइज्नम् , तर टौका, तट्ौका ; एतद टक्लार:, एतइकारः,; खट्
ठकारः) खट॒टकारः ; एतद् ठक्घरः, एतट् दक्ष्.रः ।
५३। यदि त और द के पर उ अथवा ढ ोवे तो त ओर दे के
स्थान ड ता है। यथा , उत् डौनमः चडउडौनम ; भवत् शमसः,
भवख्डमरुः , तत् लिमडिम, तडिडिमछिम् ; एतद डामरः, एतडडामरः ;
उत् ढौकते, उरढौकवे , मच्त् ढालम, मद्दडटालम् ; एतद् टक्ता,
एतडटक्षा ; तत् दुग्नम्, तड् दुरनम् ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...