राष्ट्र संघ और विश्व शांति | Rastra-sangh Aur Vishwa-shanti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
94 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चाहते दहै कि हमको अन्यत्र बाजार मिते, जं केवल हम ही अपना दा
साल बेच सकें । इसके साथ ही सबको ऐसे स्थान चाहिए, जहाँ...
| से केवल उनके ही द्या माल सिल सके। उसका परिणाम यह होता. ९4
{4 है कि सब में यह ्रयस्म होता है कि पृथ्वी के उन मदेशों पर जो अभी ध ॥
£ हू ८२ व्यवसाय में पीछे है, पना आधिपत्य खं । इसी प्रत्न ने एशिया ` ५
` ओर यश्टीकाके वदे माय को गुलास बना रक्ला है योर करता, ववर्त 4
पं डे ं ` असहयोग चित्रो हि स प्रतिश्िस-- फलतः धत शान्त खा उनन् £ | 1.
..... है। दूसरी श्रोर इसी प्रतियोगिता के कारण पूनीपति्यो के गुट अपने- ...
अपने देशों की सस्ारो कौ लड़ाःदैते है । भयकरं युद्ध होते है-जेसा `
_..... कि लेखक ने दिखाया ह, इस समय रेते लयं कर युद कीतैयारीदहो `
सी है, जिसके सामने लोग पिछले सहायुद्ध को भूल जयगे-श्रौर `
दोनों ओर के मिरपराध ग़रीब-जन का हार-जीत चै किसी जकार का
स्वाथे नहीं!
„ इतना हौ नदी, पूंजीवाद दूसरे प्रकार से भी अशान्ति पैदा कस्त |
ह । राष्ट के भीतर सी पूजीपतियों के गुटों में संघर्ष चलता रहता है 16
श्र तत्फल-स्वरूप सरकारें उल्टा करती हैं । एक राष्ट्रपति रौर म॑धि- `
मंडल ता है, दूसरा जाता है। लोग इस बात को तो देखते हैं, इसके
ऊपरी झावरण, राजनीतिक मतनभेद़ों को भी देखते हैं ; पर जो सूत्रधार `
चह नाटक रचते रहते हैं, वह परदे की आड़ में रहते हैं । अमेरिका में यह.
खेल हर चौथे वर्ष होता है । यहाँ भी इतिश्री नहीं होती । पूँजीपतियों
ने ्रभिकोंको गुलास वना रक््खा है । जिसके थविरत परिश्रम से धन-...
राशि एकत्र होती है, वह उनमें से सुश्किल से पेट-भर शन्न पाने करा
श्रधिकासै है । जब तक भूजीवाद् रहेगा, तवं तक पूजीपतियों को और
` श्रमिको का सं घष॑ रहेगा । बे-रोजगारी, हड़ताल, कारखाना-बन्दी, लाठी
गोली लूट-मार यद्द सब जारी रहेगा । (1
:.... इसलिए विश्व-शान्ति का सबसे बडा छोर प्रबल वस्तुतः एकमात्र
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