राष्ट्र संघ और विश्व शांति | Rastra-sangh Aur Vishwa-shanti

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Rastra-sangh Aur Vishwa-shanti by संपूर्णानंद - Sampurnanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चाहते दहै कि हमको अन्यत्र बाजार मिते, जं केवल हम ही अपना दा साल बेच सकें । इसके साथ ही सबको ऐसे स्थान चाहिए, जहाँ... | से केवल उनके ही द्या माल सिल सके। उसका परिणाम यह होता. ९4 {4 है कि सब में यह ्रयस्म होता है कि पृथ्वी के उन मदेशों पर जो अभी ध ॥ £ हू ८२ व्यवसाय में पीछे है, पना आधिपत्य खं । इसी प्रत्न ने एशिया ` ५ ` ओर यश्टीकाके वदे माय को गुलास बना रक्ला है योर करता, ववर्त 4 पं डे ं ` असहयोग चित्रो हि स प्रतिश्िस-- फलतः धत शान्त खा उनन्‌ £ | 1. ..... है। दूसरी श्रोर इसी प्रतियोगिता के कारण पूनीपति्यो के गुट अपने- ... अपने देशों की सस्ारो कौ लड़ाःदैते है । भयकरं युद्ध होते है-जेसा ` _..... कि लेखक ने दिखाया ह, इस समय रेते लयं कर युद कीतैयारीदहो ` सी है, जिसके सामने लोग पिछले सहायुद्ध को भूल जयगे-श्रौर ` दोनों ओर के मिरपराध ग़रीब-जन का हार-जीत चै किसी जकार का स्वाथे नहीं! „ इतना हौ नदी, पूंजीवाद दूसरे प्रकार से भी अशान्ति पैदा कस्त | ह । राष्ट के भीतर सी पूजीपतियों के गुटों में संघर्ष चलता रहता है 16 श्र तत्फल-स्वरूप सरकारें उल्टा करती हैं । एक राष्ट्रपति रौर म॑धि- ` मंडल ता है, दूसरा जाता है। लोग इस बात को तो देखते हैं, इसके ऊपरी झावरण, राजनीतिक मतनभेद़ों को भी देखते हैं ; पर जो सूत्रधार ` चह नाटक रचते रहते हैं, वह परदे की आड़ में रहते हैं । अमेरिका में यह. खेल हर चौथे वर्ष होता है । यहाँ भी इतिश्री नहीं होती । पूँजीपतियों ने ्रभिकोंको गुलास वना रक्‍्खा है । जिसके थविरत परिश्रम से धन-... राशि एकत्र होती है, वह उनमें से सुश्किल से पेट-भर शन्न पाने करा श्रधिकासै है । जब तक भूजीवाद्‌ रहेगा, तवं तक पूजीपतियों को और ` श्रमिको का सं घष॑ रहेगा । बे-रोजगारी, हड़ताल, कारखाना-बन्दी, लाठी गोली लूट-मार यद्द सब जारी रहेगा । (1 :.... इसलिए विश्व-शान्ति का सबसे बडा छोर प्रबल वस्तुतः एकमात्र




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